तिरंगा यात्रा में जोश में खोया होश, मुर्दाबाद की जगह लगा दिया जिंदाबाद का नारा
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आगरा में शनिवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के उपलक्ष्य में एक भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय सेना के शौर्य, पराक्रम और राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को सम्मान देना था। नागरिकों, युवाओं, महिलाओं और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। लेकिन इस दौरान एक गंभीर चूक ने पूरे कार्यक्रम की गरिमा को क्षणिक रूप से प्रभावित किया।

यह यात्रा आगरा के राजा मंडी चौराहे से शुरू हुई, जिसे भाजपा के ब्रज क्षेत्र अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य ने हरी झंडी दिखाई। शाहगंज बाजार होते हुए यह रुई की मंडी तक निकाली गई। लोग भारत माता की जय, वंदे मातरम् और भारतीय सेना के जयकारों के साथ हाथों में तिरंगा लिए चल रहे थे। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न मनाना था, जो देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सेना द्वारा किए गए साहसिक प्रयासों का प्रतीक है। एमएलसी विजय शिवहरे ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इसे वीर सैनिकों को समर्पित बताया।

देशभक्ति से ओत-प्रोत इस यात्रा के दौरान एक अप्रत्याशित घटना घटी। कुछ लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने की जगह पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा दिए। अखंड भारत महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अर्जुन गिर्ज ने अपने समूह के साथ मिलकर यह नारेबाजी शुरू की। राहगीरों ने इस घटना का वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जो तेजी से वायरल हो गया।

वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे जोश में गलत नारे लगाए जा रहे थे।

वीडियो के वायरल होने के बाद अर्जुन गिर्ज ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने कहा, मैं एक महंत हूं और मेरी देशभक्ति पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकता। यह एक मानवीय भूल थी। मैं मुर्दाबाद कहना चाहता था, लेकिन उत्साह में गलती से जिंदाबाद निकल गया। मैं इस गलती के लिए पूरे देश से क्षमा मांगता हूं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नारा जानबूझकर नहीं लगाया गया था।

इस घटना के बाद कुछ लोगों ने इसे राष्ट्रविरोधी कार्य कहकर आलोचना की, जबकि अन्य लोगों ने इसे भावनात्मक भूल मानते हुए क्षमा करने की बात कही। स्थानीय भाजपा नेताओं ने भी कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से देश की भावनाओं को ठेस पहुंचती है, इसलिए ऐसे आयोजनों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

यह घटना इस बात का प्रतीक है कि सार्वजनिक मंचों पर दिए जाने वाले वक्तव्यों और नारों के प्रति बेहद सतर्क रहना चाहिए। विशेषकर जब बात राष्ट्रभक्ति से जुड़ी हो, तब हर शब्द, हर नारा, जिम्मेदारी और सोच-समझ के साथ बोला जाना चाहिए। डिजिटल युग में छोटी-सी चूक भी बड़ा विवाद बन सकती है। तिरंगा यात्रा जैसी पहलें देश के प्रति प्रेम और गर्व को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम हैं। लेकिन इनमें शामिल होने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने आचरण और शब्दों से इस भाव को सही रूप में प्रस्तुत करें। जोश और उत्साह जरूरी हैं, लेकिन संयम और सतर्कता उससे भी अधिक आवश्यक है।

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