ऑपरेशन सिंदूर पर जहर उगलने वाला प्रोफेसर: दादा पाकिस्तान का पैरोकार, अब्बा रहे कॉन्ग्रेस MLA
News Image

अशोका यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मामला प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी से जुड़ा है, जिन्हें 18 मई 2025 को दिल्ली से हिरासत में लिया गया।

प्रोफेसर अली खान पर ऑपरेशन सिंदूर और इसमें शामिल महिला सैन्य अधिकारियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है।

यह घटना अशोका यूनिवर्सिटी के कथित वामपंथी और वोक विचारधारा वाले माहौल को लेकर चल रही बहस को और आगे बढ़ा दिया। अब अली खान के परिवार के मोहम्मद अली जिन्ना से कथित करीबी रिश्ते और पाकिस्तान के निर्माण में उनके परिवार की भूमिका भी एक बार फिर से चर्चा में आ गई है।

हरियाणा पुलिस ने प्रोफेसर अली खान को रविवार (18 मई 2025) को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके से गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई बीजेपी युवा मोर्चा के एक नेता की शिकायत पर हुई, जिसमें अली खान की ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणियों को आपत्तिजनक और सांप्रदायिक बताया गया।

ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की कार्रवाई थी। इस ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

अली खान ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को दिखावा और पाखंड करार दिया। उन्होंने लिखा कि सरकार कर्नल सोफिया को सिर्फ मीडिया में दिखाने के लिए आगे लाई है, जबकि वह मुस्लिम समुदाय के खिलाफ काम करती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के कुछ पागल फौजी लोग सीमा पर तनाव पैदा करते हैं, जिससे बेकसूर लोग मरते हैं।

हरियाणा राज्य महिला आयोग ने 12 मई को उसकी टिप्पणियों को सेना की महिला अधिकारियों का अपमान और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने वाला माना। आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा, लेकिन अली खान जवाब देने नहीं गए।

इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया और उन्हें हिरासत में ले लिया।

अली खान ने अपने बचाव में कहा कि उनकी बातों को गलत समझा गया। वह महिला अधिकारियों की तारीफ कर रहे थे और सिर्फ यह कहना चाहते थे कि मुस्लिम समुदाय को भी बराबर सम्मान मिलना चाहिए।

अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनका जन्म दिसंबर 1982 में हुआ था।

उन्होंने लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से शुरुआती पढ़ाई की, फिर यूके के किंग्स कॉलेज और विनचेस्टर कॉलेज में पढ़े। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से खान ने इतिहास और राजनीति विज्ञान में एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की।

इसके अलावा, अली खान ने सीरिया की दमिश्क यूनिवर्सिटी में अरबी की पढ़ाई भी की। अली खान उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद राजघराने से ताल्लुक रखते हैं, जिसका इतिहास ब्रिटिश भारत और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा है।

प्रोफेसर अली खान समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं, जिसके चलते उनकी राजनीतिक सक्रियता अक्सर सुर्खियों में रहती है। उनके परिवार की संपत्ति की बात करें तो यह 30-50 हजार करोड़ रुपये की बताई जाती है।

इसमें लखनऊ का आधा हजरतगंज, उत्तराखंड में 396 संपत्तियाँ, और इराक, पाकिस्तान जैसे देशों में प्रॉपर्टी शामिल हैं।

अली खान के परिवार का इतिहास ऑल इंडिया मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना से गहराई से जुड़ा है। उनके दादा, मुहम्मद अमीर अहमद खान, जिन्हें राजा महमूदाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद के नवाब थे।

वह जिन्ना के इतने करीबी थे कि जिन्ना उन्हें अपने बेटे की तरह मानते थे। राजा महमूदाबाद ने मुस्लिम लीग में कई अहम भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने मुस्लिम लीग को भारी मात्रा में चंदा दिया और लीग के प्रचार अखबार डॉन को आर्थिक मदद दी।

उन्होंने पाकिस्तान के निर्माण में तन, मन, धन से पूरा योगदान दिया। कहा जाता है कि उन्होंने पाकिस्तान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

साल 1947 में भारत के बंटवारे के समय राजा महमूदाबाद इराक में रह रहे थे। 1957 में उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली और अपनी सारी संपत्ति पाकिस्तान को दान दे दी।

इस वजह से भारत में उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के तौर पर सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। 1966 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर महमूदाबाद का किला उनके परिवार को वापस मिला। 1973 में राजा महमूदाबाद की लंदन में मृत्यु हो गई।

राजा महमूदाबाद के बेटे मुहम्मद अमीर मुहम्मद खान (उर्फ सुलेमान) (अली खान के अब्बू) बँटवारे के बाद पाकिस्तान नहीं गए। वह भारत में रहे और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में अपनी संपत्तियों की देखभाल करते रहे।

सुलेमान 1985 और 1989 में कॉन्ग्रेस के टिकट पर महमूदाबाद से विधायक बने।

राजा महमूदाबाद के पोते और सुलेमान के बेटे प्रोफेसर अली खान ने समाजवादी पार्टी जॉइन की और राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। वह अक्सर पार्टी के विचारों को सार्वजनिक मंचों पर रखते हैं।

उनकी ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणियाँ पार्टी के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकती हैं, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना जैसे संवेदनशील मुद्दों से जुड़ा है।

अशोका यूनिवर्सिटी की स्थापना 2014 में हुई थी। यह एक निजी विश्वविद्यालय है, जो अपनी लिबरल आर्ट्स एजुकेशन के लिए जाना जाता है।

बीते कुछ सालों में यह यूनिवर्सिटी बार-बार विवादों में घिरा है। कई लोग इसे वामपंथी और वोक विचारधारा का अड्डा कहते हैं, क्योंकि इसके छात्र और प्रोफेसर अक्सर ऐसे बयान या प्रदर्शन करते हैं, जो देश की मुख्यधारा की सोच से टकराते हैं।

अशोका यूनिवर्सिटी में बीते साल 26 मार्च 2024 को यूनिवर्सिटी के छात्रों ने एक प्रदर्शन में ब्राह्मण-बनियावाद मुर्दाबाद , जय भीम-जय मीम , और जय सावित्री-जय फातिमा जैसे नारे लगाए।

सोशल मीडिया पर इन नारों को हिंदू विरोधी बताया गया। कई लोगों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।

मई 2024 में यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में छात्रों ने फ्री फिलिस्तीन और स्टॉप जेनोसाइड लिखे प्लेकार्ड दिखाए। छात्रसंघ ने इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी से रिश्ते तोड़ने की माँग की।

अशोका के छात्रसंघ ने इजराइल के गाजा में सैन्य कार्रवाई को नरसंहार बताया। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकी हमले को उन्होंने सिर्फ इवेंट्स कहा, जिसकी खूब आलोचना हुई।

इस यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर सब्यसाची दास ने अपने शोधपत्र में दावा किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ईवीएम में हेराफेरी की। दबाव बढ़ने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

इसी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नीलांजन सरकार ने दावा किया था कि राष्ट्रपति भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर असल में बंगाली अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी की है।

यूनिवर्सिटी के संस्थापक विनीत गुप्ता और प्रणव गुप्ता पर 1,626 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। ईडी ने 28 अक्टूबर 2023 को दोनों को गिरफ्तार किया।

अली खान की टिप्पणियों से यूनिवर्सिटी ने खुद को अलग कर लिया। उसने कहा कि यह प्रोफेसर का निजी बयान था और यूनिवर्सिटी भारतीय सेना का समर्थन करती है।

अशोका यूनिवर्सिटी के छात्र और प्रोफेसर जाति, धर्म, लिंग, और वैश्विक मुद्दों पर मुखर रहते हैं। उनके प्रदर्शन और बयान लिबरल और वामपंथी विचारधारा से प्रेरित दिखते हैं।

खासकर हिंदू विरोधी नारे और इजराइल विरोधी बयान को कई लोग भारत विरोधी मानते हैं। क्या यह यूनिवर्सिटी वाकई वामपंथी और वोक विचारधारा का गढ़ बन चुकी है? या यह सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा दे रही है?

*

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

हैदराबाद के गुलजार हाउस में भीषण अग्निकांड, 17 की दर्दनाक मौत!

Story 1

गांव की मॉडर्न चाची का प्याज काटने का अनोखा जुगाड़, देखकर दंग रह जाएंगे आप!

Story 1

बारिश से मैच रद्द होने पर RCB का बड़ा फैसला, दर्शकों को मिलेगा टिकट का पूरा पैसा वापस

Story 1

ऑपरेशन सिंदूर: सैनिक का बयान - ये गुस्सा नहीं, पीढ़ियां याद रखेंगी

Story 1

दिल्ली सरकार का मास्टर प्लान 2041: 48 गांवों की बदलेगी किस्मत, मिलेंगी खास सुविधाएं

Story 1

यूपी में 60 किमी तक पीछा, गो-तस्कर सलमान ढेर; पुलिस मुठभेड़ में सिपाही शहीद, महिला कांस्टेबल घायल

Story 1

टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद, काउंटी क्रिकेट में विराट कोहली?

Story 1

सिक्सर किंग का IPL डेब्यू फुस्स! 2 गेंद में ही छूटे पसीने

Story 1

दलित दूल्हे-दुल्हन को मंदिर में प्रवेश से रोका, पुलिस की समझाइश से मिली अनुमति

Story 1

तिरंगा यात्रा में जोश में खोया होश, मुर्दाबाद की जगह लगा दिया जिंदाबाद का नारा