राष्ट्रीय मुद्दों पर भी घटिया राजनीति: कांग्रेस का मोदी सरकार पर आरोप
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कांग्रेस ने शनिवार को मोदी सरकार पर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी निम्न-स्तरीय राजनीति करने का आरोप लगाया। यह आरोप विदेश जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के लिए सरकार द्वारा नामों की घोषणा के बाद लगाया गया।

सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के प्रति भारत के कतई बर्दाश्त न करने के संदेश को लेकर सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजने का फैसला किया है। इनमें से चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ दलों के नेता करेंगे, जबकि तीन का नेतृत्व विपक्षी दलों के नेता करेंगे।

कांग्रेस ने सरकार को चार नेताओं के नाम दिए थे, जिनमें से केवल आनंद शर्मा को ही सूची में शामिल किया गया। प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले विपक्षी नेताओं में कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम प्रमुख है, जबकि पार्टी ने सरकार को जो सूची सौंपी थी, उसमें थरूर का नाम नहीं था।

कांग्रेस का कहना है कि उसने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के नाम सरकार को भेजे थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि 16 मई की सुबह मोदी सरकार ने कांग्रेस से चार सांसदों और नेताओं के नाम मांगे थे, जिन्हें पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजा जा रहा है।

कांग्रेस संसदीय दल की ओर से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने 16 मई को दोपहर 12 बजे तक चार नाम संसदीय कार्य मंत्री को लिखित रूप में भेज दिए थे। रमेश ने कहा कि सरकार द्वारा जारी सूची में कांग्रेस द्वारा सुझाए गए चार नामों में से केवल एक को ही शामिल किया गया है।

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि यह मोदी सरकार की असंवेदनशील राजनीतिक सोच को दर्शाता है, जो गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर भी घटिया राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शामिल किए गए कांग्रेस के नेता प्रतिनिधिमंडल के साथ जाएंगे और अपनी भूमिका निभाएंगे। कांग्रेस प्रधानमंत्री और बीजेपी के इस स्तरहीन आचरण तक नहीं गिरेगी और इन सभी प्रतिनिधिमंडलों को शुभकामनाएं देती है।

कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग दोहराई है। जयराम रमेश ने कहा कि इन प्रतिनिधिमंडलों को कांग्रेस की प्रमुख मांगों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए, जिनमें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाना और संसद का विशेष सत्र आयोजित कर 22 फरवरी 1994 को पारित प्रस्ताव की फिर से पुष्टि करना शामिल है।

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