मिर्जापुर की बेटी आरती सिंह बनीं मुंबई पुलिस की पहली संयुक्त कमिश्नर इंटेलिजेंस
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महाराष्ट्र कैडर की 2006 बैच की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह को 16 मई को मुंबई पुलिस का पहला संयुक्त पुलिस आयुक्त (खुफिया) नियुक्त किया गया है. वह इस पद को संभालने वाली पहली अधिकारी हैं.

राज्य सरकार ने खुफिया जानकारी जुटाने की दिशा में यह बड़ा फैसला लिया है. यह कदम पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले और क्षेत्र में सक्रिय स्लीपर सेल को देखते हुए उठाया गया है. नए पद का उद्देश्य निगरानी और खुफिया समन्वय को बढ़ाना है.

महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश में कहा है कि मुंबई में कई अहम प्रतिष्ठान हैं. शहर में खतरे की आशंका ज़्यादा है, और यहां कई वीआईपी लोग रहते हैं और शहर का दौरा करते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों के मद्देनज़र ये अहम फैसला लिया गया है.

आरती सिंह इससे पहले महाराष्ट्र सीआईडी में तैनात थीं, जहां वे विशेष महानिरीक्षक के पद पर थीं.

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की रहने वाली आरती सिंह ने पुलिस सेवा में आने से पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से MBBS की डिग्री हासिल की है.

आरती सिंह 2006 बैच की महाराष्ट्र पुलिस की अधिकारी हैं. उन्होंने पहले किसी कमिश्नरेट में पुलिस कमिश्नर के पद पर भी काम किया है.

आरती सिंह को कोरोना काल के दौरान कोविड योद्धा के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार और आंतरिक सुरक्षा पदक सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान मालेगांव में एसपी के तौर पर शानदार काम किया था.

आईपीएस अधिकारी बनने से पहले आरती सिंह स्त्री रोग विशेषज्ञ थीं. वे अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं.

आरती सिंह एक भरतनाट्यम डांसर और फिटनेस फ्रीक भी हैं.

आरती सिंह लिंग पूर्वाग्रह से लड़ने के लिए फोर्ब्स की लिस्ट में भी शामिल हो चुकी हैं. वे खलीज टाइम्स में शामिल होने वाली एकमात्र आईपीएस अधिकारी हैं और अपने बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में उन्होंने लैंगिक भेदभाव का सामना किया, जिससे उन्हें सामाजिक अपेक्षाओं को चुनौती देने की प्रेरणा मिली.

आरती सिंह ने गढ़चिरौली जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों से अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने निडरता से नेतृत्व किया और प्रभावी नक्सल विरोधी अभियानों का संचालन किया. अपनी रणनीतिक सूझबूझ के जरिए उन्होंने न केवल जटिल इलाके को पार किया, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की जीत सुनिश्चित की. उन्होंने इलाके में संसाधनों की कमी के बावजूद बाधाओं को अवसरों में बदला, जिससे उन्हें स्थानीय समुदाय का सम्मान और भरोसा मिला. नासिक ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के रूप में उन्होंने सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित की, जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया.

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