बलूचिस्तान: पाकिस्तान के हाथ से फिसली ज़मीन? नेताओं के खुलासे से इस्लामाबाद में हड़कंप!
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बलूचिस्तान में स्वतंत्रता आंदोलन ने एक बार फिर ज़ोर पकड़ लिया है, जिससे इस्लामाबाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बलूच नेताओं ने बलूचिस्तान गणराज्य की घोषणा करते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता और समर्थन की अपील की है. यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और स्वतंत्रता की मांग का प्रतीक बन गई है.

प्रमुख बलूच नेता मीर यार बलोच ने स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए कहा, बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है. सोशल मीडिया पर #RepublicOfBalochistan हैशटैग के साथ प्रस्तावित राष्ट्रीय ध्वज और नक्शे की तस्वीरें प्रसारित हो रही हैं.

मीर ने भारत के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा, आप अकेले नहीं हैं, नरेंद्र मोदी. आपके साथ 60 मिलियन बलूच देशभक्तों का समर्थन है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय शांति सेना की तैनाती और बलूचिस्तान से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की वापसी की मांग की है.

बलूच अमेरिकन कांग्रेस के महासचिव रज्जाक बलोच ने दावा किया है कि पाकिस्तानी प्रशासन ने बलूच क्षेत्र के बड़े हिस्से पर नियंत्रण खो दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना क्वेटा में भी अंधेरा होने के बाद बाहर नहीं निकल सकती. पाकिस्तानी अधिकारी भी इस स्थिति को स्वीकार कर चुके हैं, क्योंकि सेना सुरक्षा कारणों से शाम 5 बजे से सुबह 5 बजे तक गश्त नहीं करती. रज्जाक का दावा है कि पाकिस्तान ने क्षेत्र के 70-80% हिस्से पर नियंत्रण खो दिया है.

रज्जाक ने भारत और अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियों से बलूच संघर्ष का समर्थन करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अगर भारत समर्थन करता है, तो उनके लिए रास्ते खुल जाएंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि समर्थन में देरी से बर्बर सेना को और ताकत मिलेगी, जो क्षेत्रीय स्थिरता को बिगाड़ सकती है. रज्जाक ने पाकिस्तानी सेना को गरिमा के साथ वापस जाने की सलाह दी, अन्यथा बांग्लादेश जैसी स्थिति होगी, जहां केवल उनके जूते पीछे छूटेंगे.

बलूच स्वतंत्रता आंदोलन की जड़ें 1947 में हैं, जब ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद कलात रियासत ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी. 1948 में पाकिस्तान ने इसे जबरन अपने कब्जे में ले लिया, जिसे बलूच राष्ट्रवादी कभी स्वीकार नहीं करते. बलूचिस्तान की गैस और खनिज संपदा का शोषण और स्थानीय लोगों को गरीबी में रखने के खिलाफ दशकों से विरोध हो रहा है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर हमले तेज कर दिए हैं.

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है, जहां बुनियादी ढांचे और मीडिया की पहुंच सीमित है. सैन्य दमन, जबरन गायब करने और हत्याओं के कारण मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. बलूच नेताओं का कहना है कि उनका संघर्ष शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए है.

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