ट्रंप से अंबानी की दोहा में मुलाकात: कतर और खाड़ी देशों में रिलायंस का कितना बड़ा कारोबार?
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मुकेश अंबानी ने दोहा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की, जिसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के कतर और अन्य खाड़ी देशों में कारोबार को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज कतर के साथ कच्चे तेल का व्यापार करती है। इसके अलावा, कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) में एक बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से जारी नियामक फाइलिंग के अनुसार, QIA ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड में 1% हिस्सेदारी के लिए 8,278 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस निवेश के बदले QIA को रिलायंस रिटेल के 6.86 करोड़ इक्विटी शेयर आवंटित किए गए हैं। इस तरह QIA की रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड में 0.99% हिस्सेदारी हो गई है।

पिछले महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज की एजीएम बैठक में मुकेश अंबानी ने कहा था कि प्रमुख वैश्विक रणनीतिक और वित्तीय निवेशकों ने रिलायंस रिटेल में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर RRVL को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है तो मौजूदा मूल्यांकन के आधार पर ये देश की शीर्ष चार सूचीबद्ध कंपनियों में से एक होगी। अंबानी के अनुसार, तीन साल से भी कम समय में रिलायंस रिटेल का मूल्यांकन दोगुना हो गया है।

मुकेश अंबानी कई बार कह चुके हैं कि रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने दो साल में अपनी वैल्यूएशन दोगुनी की है। QIA द्वारा आरआरवीएल में 8,278 करोड़ रुपये का निवेश किए जाने के बाद रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की मार्केट वैल्यू 100 अरब डॉलर आंकी गई है।

RRVL, रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिटेल बिजनेस की होल्डिंग कंपनी है। 2020 में RRVL ने 10.09% हिस्सेदारी के लिए वैश्विक निजी इक्विटी फंडों से 47,265 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिससे कंपनी का वैल्यूशन 4.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। कंपनी ने उस समय लगभग 57 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्यांकन पर सिल्वर लेक, केकेआर, मुबाडाला, अबू धाबी निवेश प्राधिकरण, जीआईसी, टीपीजी, जनरल अटलांटिक और सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष से फंड जुटाया था।

RRVL ने भारतीय बाजार के कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के फ्रैंचाइजी अधिकार प्राप्त करने और कंपनियों का अधिग्रहण करके यहां अपने कारोबार को तेजी से बढ़ाया है। इसके अलावा, यह बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर निवेश कर रही है और जर्मन खुदरा प्रमुख मेट्रो कैश एंड कैरी के भारत के कारोबार का भी अधिग्रहण किया है।

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