इस्लामाबाद में बलोच महिलाओं के साथ पुलिस का बर्ताव सवालों के घेरे में है। आरोप है कि उनके साथ वही व्यवहार किया जा रहा है जो 1971 में बंगालियों के साथ हुआ था। नेशनल मीडिया और पंजाबी मीडिया इस घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं।
बलूचिस्तान से 900 किलोमीटर चलकर बलोच महिलाएं इस्लामाबाद पहुंची हैं, लेकिन शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर उनसे मिलने या जवाब देने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। पुलिस उन्हें इस्लामाबाद से हटाने की कोशिश कर रही है और सड़कों को जेल में तब्दील कर दिया गया है।
शहबाज सरकार बलोच महिलाओं के प्रदर्शन से डर गई है। उनके रास्ते बंद कर दिए गए हैं और उन्हें कैंप लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। महिला पुलिसकर्मियों की मदद से उनके साथ बदसलूकी करने के भी आरोप हैं।
पिछले 6 दिनों से ये महिलाएं धूप और बारिश में धरने पर बैठी हैं। इनमें से कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके बेटे 10 साल से गायब हैं, किसी बहन का भाई 15 साल से लापता है, और कुछ बेटियां ऐसी हैं जिन्हें अपने पिता का चेहरा भी याद नहीं है। इन सभी महिलाओं का आरोप है कि आसिम मुनीर के आदेश पर ही उनके परिजनों को अगवा किया गया है।
एक बलोच महिला ने बताया कि उसके बेटे महमूद अली को 18 जून, 2024 को पाकिस्तानी एजेंसियों और CTD ने लापता कर दिया था। एक साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अपने बेटे के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
एक 10 साल की बच्ची ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसके पिता, जांजी बलूच को 10 साल पहले CTD ने क्वेटा स्थित उनके घर से अगवा कर लिया था। उस वक्त वह सिर्फ 3 महीने की थी और उसे अपने पिता का चेहरा भी याद नहीं है।
बलूचिस्तान के मानवाधिकार विभाग पांक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक महीने में ही एक हजार लोग गायब हो चुके हैं। पाकिस्तानी सेना का दावा है कि ये लोग लापता हुए हैं, लेकिन आरोप है कि बलोचों को उनके घरों से अगवा किया जा रहा है और उन्हें जेलों में डाला जा रहा है।
आरोप है कि बलूचिस्तान के लोगों पर अत्याचार करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने अलग टॉर्चर सेल बनाए हुए हैं, जहां उन्हें बिजली के झटके देने से लेकर बेरहमी से पीटने तक, शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं।
पाकिस्तान की आर्मी के जुल्म और सरकारों की अनदेखी के खिलाफ पूरा बलूचिस्तान एकजुट हो गया है। पहले भी पाकिस्तान की पॉलिसी को लेकर यहां विद्रोह हो चुके हैं।
इस बार बलूचिस्तान के लोग आजादी से कम पर कुछ भी मानने को तैयार नहीं हैं। इस्लामाबाद में बलोच महिलाओं का प्रदर्शन मुनीर और शहबाज के लिए एक अल्टीमेटम है कि अगर अब से भी बलूचिस्तान को लेकर पाकिस्तान ने अपनी पॉलिसी नहीं बदली और बलोचों को उनके अधिकार नहीं दिए तो पाकिस्तान का खंड-खंड होना तय है।
आसिम मुनीर और शहबाज शरीफ इस्लामाबाद की सड़कों पर बैठी कुछ बलोच महिलाओं के प्रदर्शन से खौफजदा हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इस्लामाबाद की सड़कों से निकली चिंगारी जल्द ही बलूचिस्तान की आजादी में बदल सकती है।
पाकिस्तान की राजधानी में मुनीर मुर्दाबाद
— India TV (@indiatvnews) July 21, 2025
पाकिस्तान में टूट फूट....फौजी बूट को खुली छूट#UttarPradesh #kanwaryatra2025 #kanwaryatra @peenaz_tyagi pic.twitter.com/hSv05Whvph
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