पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले, IMF के लोन से लबालब हुआ सेंट्रल बैंक का खाता, जानिए कितना पैसा है!
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पाकिस्तान स्टेट बैंक (SBP) को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्जे की दूसरी किस्त मिल गई है. यह जानकारी बैंक ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट करके दी.

बैंक के अनुसार, उसे एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत IMF से दूसरी किस्त के रूप में लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 8545 करोड़ रुपये) प्राप्त हुए हैं. पाकिस्तानी रुपये में यह राशि लगभग 28,197 करोड़ रुपये बनती है.

यह पैसा 16 मई को समाप्त होने वाले सप्ताह में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में जमा दिखाया जाएगा.

इस कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को पहली किस्त सितंबर 2024 में मिली थी. बीते दिनों भारत के साथ सैन्य संघर्ष के बीच IMF ने पाकिस्तान को EFF के तहत 1 बिलियन के बेलआउट पैकेज की मंजूरी दी थी.

IMF ने यह फैसला पाकिस्तान सरकार द्वारा किए गए प्रशासनिक सुधारों की औपचारिक समीक्षा के बाद लिया था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से तनावपूर्ण रिश्तों के बीच भारत ने इस कर्ज के लिए किए जा रहे मतदान से दूरी बनाई थी.

भारत ने IMF को आगाह किया था कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है. उस पर कर्ज का बोझ इतना अधिक हो गया है कि वह उसे वापस भी नहीं कर सकता. भारत ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान को दिया जाने वाला कर्ज आतंकवाद में इस्तेमाल किया जा सकता है और यह फंडिंग करने वाले देशों और दानदाताओं का अपमान होगा.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 25 सितंबर 2024 को पाकिस्तान के लिए 7 बिलियन डॉलर के 37 महीने के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम को मंजूरी दी थी. यह कार्यक्रम पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता को समर्थन देने, सुधारों को लागू करने और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए बनाया गया था. इस मंजूरी के साथ, IMF ने तत्काल प्रभाव से सितंबर 2024 में ही लगभग 1 बिलियन डॉलर (लगभग 760 मिलियन SDR) की पहली किस्त जारी की थी. हालिया 1 बिलियन डॉलर का लोन इसी सिलसिले की एक कड़ी है, जिसके बाद इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान को कुल तकरीबन 2.1 बिलियन डॉलर दिया जा चुका है.

एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक व्यवस्था है, जिसके जरिए उन देशों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिनके पास दूसरे देशों को आयात की जाने वाली चीजों का बिल देने के लिए पर्याप्त फंड नहीं होता. EFF के तहत दिया जाने वाला फंड किसी तरह का ग्रांट या मदद राशि नहीं होती है. यह एक कर्ज होता है, जिसे वापस चुकाना होता है. समय-समय पर IMF इसकी समीक्षा भी करता रहता है.

मौजूदा समय में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी खराब है और पिछले कुछ समय से वह दिवालियापन के कगार पर है. बीते कुछ सालों में पाकिस्तान को न सिर्फ IMF से हजारों करोड़ रुपये उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ा बल्कि चीन, यूएई, सऊदी अरब, पेरिस क्लब, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, एशियाई डेवलपमेंट बैंक और नॉर्डिक डेवलपमेंट फंड जैसे कई अन्य जगहों से भी उसे लोन लेना पड़ा है. अकेले IMF से ही पाकिस्तान ने पिछले 35 सालों में 28 बार लोन लिया है.

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