भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बावजूद, दोनों देशों में गोलीबारी और ड्रोन अटैक जारी थे. यह सब भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुआ, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला था.
ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखाया कि भारत आतंकवादियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शेगा. इस ऑपरेशन की एक अमेरिकी पत्रकार ने खुलकर सराहना की है. उनका कहना है कि बहावलपुर शहर लंबे समय से आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह देता रहा है, और अब इस पर सीधा हमला हुआ है.
आसरा नोमानी, जो पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल में पत्रकार थीं और डेनियल पर्ल प्रोजेक्ट की सह-संस्थापक भी हैं, ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा की. डेनियल पर्ल एक अमेरिकी पत्रकार थे, जिनका बहावलपुर शहर में अपहरण करके हत्या कर दी गई थी. बहावलपुर, ऑपरेशन सिंदूर में भारत द्वारा निशाना बनाए गए 9 आतंकी ठिकानों में से एक था.
आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर, जो मसूद अजहर का भाई है, ने डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या की साजिश रची थी. वह भी ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया.
नोमानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, जैसे ही मुझे पता चला कि भारत ने बहावलपुर समेत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया है, मुझे समझ आ गया कि यह हमला दिखावे के लिए नहीं, बल्कि असली आतंक के ठिकानों पर किया गया है.
उन्होंने बताया कि डेनियल पर्ल को इंटरव्यू के बहाने हरकतुल मुजाहिदीन के पीआर, आरिफ ने बुलाया और उसे आतंकियों के हवाले कर दिया. जब पुलिस ने आरिफ को पकड़ने की कोशिश की, तो उसके घरवालों ने उसका झूठा अंतिम संस्कार कर दिया, हालांकि बाद में वह मुजफ्फराबाद में पकड़ा गया, जिसे ऑपरेशन सिंदूर में टारगेट किया गया.
नोमानी ने आगे बताया कि डेनियल पर्ल को आतंकी उमर शेख के हवाले किया गया था, जो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ड्रॉपआउट था और बाद में आतंकी बन गया. भारत में पर्यटकों को किडनैप करने के बाद वह जेल में बंद था, लेकिन 1999 में इंडियन एयरलाइंस हाइजैक के बाद उसे आतंकी मसूद अजहर के साथ छोड़ दिया गया था.
नोमानी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने इन आतंकियों को बचने के रास्ते दिए और भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया. वे कश्मीर के जुनून में इन आतंकियों को पालते रहे. नोमानी का मानना है कि भारत ने एक रणनीतिक हमला किया, जो पाकिस्तान को खुद ही कर लेना चाहिए था.
“Bahawalpur.”
— Asra Nomani (@AsraNomani) May 8, 2025
I still have chills in my heart from when I first heard that town’s name in late January 2002. For the 23 years since, I have reported on how Pakistani intelligence and military leaders have used that city — Bahawalpur — in the southern province of Punjab as a base… pic.twitter.com/nFF6geUTp7
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