भारत और पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम की तुलना करें तो भारत का पलड़ा स्पष्ट रूप से भारी है. तकनीकी और रणनीतिक, दोनों ही लिहाज से भारत पाकिस्तान से कहीं आगे है.
भारत के पास रूस से मिला S-400 ट्रायंफ सिस्टम है. यह दुनिया की सबसे बेहतरीन और आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली मानी जाती है. यह सिस्टम लंबी दूरी तक दुश्मन के हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है, जिसमें लड़ाकू विमान, मिसाइल और ड्रोन शामिल हैं.
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास चीन का बना HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम है. इसे 2021 में सेना में शामिल किया गया था. यह भी लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है, लेकिन इसकी ताकत और रफ्तार S-400 जितनी नहीं है.
सीधे शब्दों में कहें तो, भारत का S-400 सिस्टम पाकिस्तान के HQ-9 सिस्टम से कहीं अधिक ताकतवर और भरोसेमंद है.
S-400 की सबसे बड़ी ताकत इसकी 400 किलोमीटर की रेंज है. यह दुश्मन के हवाई खतरों को बहुत दूर से ही नष्ट करने की क्षमता रखता है. इसके विपरीत, HQ-9 की रेंज 125 से 200 किलोमीटर के बीच ही सीमित है. यानी S-400 पाकिस्तान के एयर स्पेस में मौजूद लक्ष्यों को भी भेद सकता है, जबकि HQ-9 सीमित दूरी तक ही सुरक्षा दे सकता है.
S-400 को तैयार करने में सिर्फ 5 मिनट लगते हैं. यानी अचानक हवाई हमला हो जाए, तो यह तुरंत जवाब देने के लिए तैयार हो जाता है. HQ-9 को पूरी तरह एक्टिव करने में करीब 35 मिनट लगते हैं. आपात स्थिति में यह देरी इसकी कमजोरी बन सकती है.
HQ-9 एक साथ करीब 100 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है, लेकिन इसकी रडार प्रणाली तेज मिसाइलों को पकड़ने में कमजोर मानी जाती है. जैसे, भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को यह ठीक से ट्रैक और रोक नहीं पाता. S-400 का रडार सिस्टम बहुत ज्यादा ताकतवर और सटीक है. यह सुपरसोनिक ही नहीं, बल्कि हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी पहचानकर नष्ट कर सकता है.
S-400 में 400 किलोमीटर से लेकर 40 किलोमीटर तक मार करने वाली अलग-अलग मिसाइलें हैं. यह दुश्मन के टारगेट्स को ऊंचाई, मध्यम ऊंचाई और नीचे की ऊंचाई, हर स्तर पर मार सकता है. इसे मल्टी-लेयर डिफेंस कहते हैं. HQ-9 में इतनी अलग-अलग मिसाइलें नहीं होतीं.
पाकिस्तान ने अपने HQ-9 सिस्टम को कराची और रावलपिंडी जैसे शहरों की रक्षा के लिए तैनात किया है. यह मुख्य रूप से रक्षात्मक है. जबकि भारत ने S-400 को रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया है. यह सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ, युद्ध की स्थिति में दुश्मन के हवाई ठिकानों पर हमला करने की भी क्षमता रखता है. इसे आक्रामक क्षमता कह सकते हैं.
S-400 ट्रायंफ रूस का आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे भारत ने 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर में खरीदा था. यह 400 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के विमान, ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर सकता है. इसके रडार्स दुश्मन के टारगेट्स को बहुत पहले पहचान लेते हैं और उन्हें मार गिराने के लिए तुरंत आदेश भेजते हैं.
पाकिस्तान का HQ-9 सिस्टम चीन द्वारा बनाया गया है और यह S-300 सिस्टम की तरह काम करता है. इसका नया वर्जन HQ-9B है, जिसकी रेंज लगभग 250-300 किलोमीटर है.
हालांकि, HQ-9 को युद्ध के दौरान तैनात करने में 30 से 35 मिनट का समय लगता है. इसका रडार सुपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक तो कर सकता है, लेकिन उसे रोकने में नाकाम रहता है. यह साफ नहीं है कि यह सिस्टम एक साथ कितने टारगेट्स पर हमला कर सकता है. 2022 में भारत से गलती से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइल को भी HQ-9 नहीं रोक पाया था.
भारत का S-400 सिस्टम पाकिस्तान के HQ-9 से बहुत ज्यादा बेहतर है. भारत की SEAD रणनीति, तेज मिसाइलें और राफेल-सुखोई जैसे फाइटर जेट्स पाकिस्तान के एयर डिफेंस को नष्ट करने में मदद करते हैं. वहीं HQ-9 एक कमजोर सिस्टम है जो भारत की ताकत के सामने नहीं टिक पाता. S-400 भारत को सुरक्षित एयरस्पेस देता है और दुश्मन का मनोबल भी तोड़ता है.
INDIA 🤝 RUSSIA | Air Defence 🫡
— Amit 𝕏 (@AMITZZZ_) May 8, 2025
Pakistan tried to attack several military bases in northern and western India using drones and missiles but the attacks were stopped by India’s Russian-Made S-400 air defence system.#OperationSindoor2 #DroneAttack pic.twitter.com/P5ttJJ2NpT
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