भारत की तीनों सेनाओं के संयुक्त ऑपरेशन से पाकिस्तान हिल गया है. ऑपरेशन सिंदूर में ढेर किए गए आतंकियों के शवों पर पाकिस्तानी हुक्मरान रो रहे हैं. पहलगाम आतंकी हमले का बदला पूरा होने के बाद भारत के लोग जोश में हैं.
आज दोपहर बाद देश के 200 से ज्यादा जिलों में युद्ध के हालात से निपटने के लिए मॉक ड्रिल किया गया. 1971 की जंग के समय जो लोग बच्चे रहे होंगे शायद उन्हें वो दौर याद हो. तब पाकिस्तानी बमवर्षक फाइटर प्लेन से ताजमहल को बचाने के लिए उसे कई दिनों के लिए गायब कर दिया गया था.
1971 में पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने भारत में घुसकर हवाई हमले किए थे. पाक वायुसेना के जेट आगरा तक पहुंच गए थे. उस समय ब्लैकआउट किया गया था. उसी दौर को याद करते हुए नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही हैं.
भारत ने न केवल अपनी सेना को तैयार किया था बल्कि हवाई हमलों और ब्लैकआउट के लिए नागरिकों को ट्रेनिंग भी दी थी. इसमें एक बड़ा प्रयास यह था कि पाकिस्तानी हवाई हमलों से ताजमहल को कैसे बचाया जाए.
पाकिस्तान से युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ था. पाकिस्तान ने अचानक भारत के सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया. उसने ऑपरेशन चंगेज खान नाम दिया था. पश्चिमी बॉर्डर से घुसे पाकिस्तानी जेट ने भारतीय वायुसेना के कई स्टेशनों को निशाना बनाया. इसमें से एक था आगरा का एयरबेस, जो ताजमहल के करीब था.
दो पाक जेट ने रनवे पर बमबारी की थी. हालांकि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था लेकिन ताजमहल के करीब होने के कारण इस अमूल्य सांस्कृतिक स्थल को बचाना पहली प्राथमिकता थी.
भारत सरकार के भीतर गंभीर मंथन चला. यह समझा गया कि ताजमहल जैसे मशहूर स्थलों का इस्तेमाल दुश्मन के प्लेन नेविगेशन मार्कर यानी दिशा समझने में कर सकते हैं. हो सकता है कि जनता का मनोबल गिराने के लिए पाकिस्तान इसे ही निशाना बना दे.
पाक अटैक के 24 घंटे के भीतर त्वरित ऐक्शन लेते हुए ताजमहल को गायब करने की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सौंपी गई. काम फौरन शुरू कर दिया गया.
यमुना नदी के आसपास के वातावरण में घुलने मुलने के लिए ताजमहल के गुंबद और मीनारों को हरे रंग के जूट के तिरपालों से ढक दिया गया. इससे चमचमाता सफेद संगरमरमर छिप गया.
स्मारक को ढकने के लिए 8,400 किग्रा से ज्यादा तिरपाल, लगभग 600 किग्रा कीलें और 63 विशेष सिलाई वाली सुइयां इस्तेमाल की गई थीं. मीनारों को छिपाने के लिए कर्मचारियों ने पेड़ों की टहनियां और झाड़ियां भी लाईं. संगमरमर के फर्श पर रेत बिछाई गई ताकि इसकी प्राकृतिक चमक फीकी पड़ जाए.
हर शाम लाइटें बंद कर दी जाती थीं, पर्यटकों पर प्रतिबंध लग गया था. भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी. इस तरह से करीब दो हफ्ते तक चला.
यह पहली बार नहीं था जब ताज को दुश्मनों से छिपाया गया हो. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने संभावित जर्मन या जापानी बमवर्षक विमानों को गुमराह करने के लिए 1942 में गुंबद के चारों ओर बांस की मचान बना दी थी.
*The Taj Mahal Under Camouflage During WWII -
— Archaeo - Histories (@archeohistories) March 4, 2024
Taj Mahal, an immense mausoleum of white marble, built in Agra between 1631-1648 CE, by order of the Mughal Emperor Shah Jahan (r. 1628-1658 CE) in the memory of his favourite wife, the Taj Mahal is the jewel of Muslim art in India… pic.twitter.com/KTyGa9CUIa
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