ऑपरेशन सिंदूर: भारत के घातक हथियारों ने पाकिस्तान को नींद से जगाया!
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पहलगाम के जवाब में भारत ने सटीक रणनीति से पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है, जिसे वह दशकों तक याद रखेगा। इस हमले में इस्तेमाल हुए हथियारों ने पाकिस्तान को भारत की असली ताकत का परिचय कराया।

इस बार भारतीय सेनाओं ने एलओसी या पाकिस्तान से लगते अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर को पार नहीं किया। यह इस हमले की सबसे बड़ी खासियत थी और इसका श्रेय भारतीय सेनाओं के कुछ खास हथियारों को जाता है।

भारतीय वायुसेना ने हमले के लिए अपने सबसे उन्नत रफाल फाइटर जेट को चुना, जिसकी वजह से बालाकोट एयर स्ट्राइक की तरह इस बार भारतीय सेना को एलओसी पार करने की जरूरत ही नहीं पड़ी।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो हथियार सपने में भी पाकिस्तान को डराएगा, उसका नाम है स्कैल्प मिसाइल। भारतीय वायुसेना ने हमले के लिए यही मिसाइल क्यों चुनी?

स्कैल्प एक स्टेल्थ मिसाइल है, जिसे पाकिस्तान के रडार पकड़ नहीं सकते। इसके एयरो-डायनेमिक और चपटे आकार की वजह से इसका रडार क्रॉस सेक्शन बहुत छोटा बनता है। इससे दुश्मन के राडार इसे पहचान नहीं पाते। दुश्मन इसे इन्फ्रारेड की मदद से भी नहीं पकड़ सकता, यही वजह है पाकिस्तान का एयर डिफेंस इसे नहीं रोक पाया।

स्कैल्प को 560 किलोमीटर दूर से दुश्मन के ठिकानों पर दागा जा सकता है इसलिए रफाल को दुश्मन के एयर डिफेंस जोन में जाने की जरूरत नहीं पड़ी। लंबी रेंज के बावजूद यह बेहद सटीकता से अपने टारगेट को निशाना बना सकती है, इसलिए बहावलपुर में नागरिकों की जान नहीं गई।

स्कैल्प गहराई में हमला करने में सक्षम है। इसका वॉरहेड दो चरण में टारगेट को खत्म करता है। वॉरहेड का पहला हिस्सा लक्ष्य की बाहरी संरचना पर हमला करता है। इससे कंक्रीट या स्टील की दीवार में छेद हो जाता है। दूसरा हिस्सा अंदर जाकर धमाका करके तबाही मचाता है।

स्कैल्प मिसाइल किसी भी लक्ष्य से टकराने के तुरंत बाद धमाका नहीं करती है। इसमें एक ऐसा Delay फ्यूज लगा होता है जो टक्कर के कुछ देर बाद धमाका करता है। यही वजह है कि बहावलपुर से आई तस्वीरों में मस्जिद की गुंबद के ठीक नीचे एक सुराख दिखाई दे रहा है। यहां इस मिसाइल ने नीचे जाकर धमाका किया और इस आतंकी ठिकाने को बर्बाद कर दिया।

स्कैल्प की एक और खासियत इसे घातक बनाती है कि यह अपने लक्ष्य के पास आकर आसमान में ऊंचाई तक जाती है और फिर तेजी से नीचे आकर अपने टारगेट पर हमला करती है। इसी खासियत ने जैश ए मोहम्मद के मुख्यालय में सबसे ज्यादा तबाही मचाई।

स्कैल्प मिसाइल के साथ रफाल ने हैमर मिसाइलों से भी आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।

इसके अलावा भारत ने आत्मघाती ड्रोन्स का भी आतंकी ठिकानों पर हमले में इस्तेमाल किया।

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