पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच भारत के गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए हैं.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए निर्देश में 244 सूचीबद्ध सिविल डिफ़ेंस ज़िलों में डिफ़ेंस का अभ्यास और रिहर्सल करने के निर्देश दिए गए हैं.
रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी का कहना है कि 1971 की भारत पाकिस्तान जंग के बाद इतने बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल कराई जा रही है और इससे पता लगता है कि दोनों देशों के बीच हालात लगातार कितने बिगड़ रहे हैं.
मॉक ड्रिल में डिस्ट्रिक्ट कंट्रोलर्स, ज़िले के विभिन्न विभाग, एनसीसी, राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस), कॉलेज और स्कूल के स्टूडेंट्स, होम गॉर्ड्स और सिविल डिफ़ेंस वॉलंटियर्स को शामिल होने का आह्वान किया गया है.
कर्नाटक के डायरेक्टर सिविल डिफ़ेंस, डीजीपी फ़ायर इमरजेंसी सर्विसेज़ प्रशांत कुमार ठाकुर ने कहा कि कर्नाटक समेत सभी राज्यों के अधिकारियों की गृह मंत्रालय के साथ मीटिंग हुई, जिसमें संभावित ख़तरों को लेकर सिविल डिफ़ेंस और इमरजेंसी रेस्पांस की तैयारी को लेकर चर्चा की गई.
लखनऊ के पुलिस लाइन्स में मॉक ड्रिल किया गया जिसमें आग बुझाने और लोगों को बचाने का अभ्यास किया गया.
जम्मू के एक स्कूल में स्टूडेंट्स को मॉक ड्रिल दी गई.
पंजाब में मोहाली, अमृतसर, पटियाला, जालंधर समेत 20 जगहों पर मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने एक्स अकाउंट पर सभी नागरिकों, बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं, छात्रों से इस मॉक ड्रिल में वॉलंटियर बनने की अपील की है.
बीजेपी के संसदीय पार्टी कार्यालय ने इस मॉक ड्रिल में आम नागरिकों के साथ होने को कहा है.
तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के वर्किंग प्रेसिडेंट केटी रामा राव ने कहा है कि मॉक ड्रिल को सफल बनाने के लिए सभी को इसमें हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय हित में है और जो राष्ट्रीय हित में है, निश्चित रूप से बीआरएस उसका समर्थन करती है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य कार्रवाई का संकेत देते हुए कहा था, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जैसा आप चाहते हैं वैसा होकर रहेगा.
भारत ने पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान के हाथ होने के आरोप लगाए हैं जबकि पाकिस्तान ने आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसकी स्वतंत्र जांच कराने में सहयोग करने की बात कही है.
राहुल बेदी का कहना है कि इस तरह की ड्रिल अक्सर जंग के समय होती हैं. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरी बड़ी जंग 1971 का हवाला दिया जब ब्लैकआउट होते थे, यहां तक कि रेल गाड़ियों के शीशे तक काले किए जाते थे और रात के वक़्त बल्ब बुझा दिए जाते थे.
राहुल बेदी कहते हैं, भारत की ओर से 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट की कार्रवाई का क्षेत्र लाइन ऑफ़ कंट्रोल के आस-पास सीमित था. लेकिन अगर जंग का आगे तक फैलाव होता है तो यह सबके लिए मुश्किल साबित होगी.
राहुल बेदी का कहना है कि मॉक ड्रिल काफ़ी हद तक तैयारी से जुड़ा मामला है, हालांकि कुछ विश्लेषक इसे पाकिस्तान पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कार्रवाई भी कह रहे हैं.
पहलगाम हमले के बाद से ही भारत सरकार में उच्च स्तरीय बैठकें हो रही हैं.
मॉक ड्रिल के एक दिन पहले भी पीएम मोदी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बीच ताज़ा मीटिंग हुई है.
दोनों देशों ने द्विपक्षीय समझौतों को रद्द करने से लेकर एक-दूसरे देश के विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र बंद करने के फ़ैसले किए हैं.
पाकिस्तान ने किसी भी दुस्साहस का क़रारा जवाब देने की बात कही है तो भारत की ओर कड़ी सज़ा देने की बात कही जा रही है.
कुछ विश्लेषकों ने इसे पाकिस्तान का मनोवैज्ञानिक युद्ध कहा था.
राहुल बेदी कहते हैं, 2019 में बालाकोट स्ट्राइक बीजेपी के लिए राजनीतिक रूप से लाभकारी हुई थी. कुछ हलकों में कहा जा रहा है कि इस हमले का राजनीतिक लाभ बीजेपी को चुनावों में मिल सकता है. लेकिन यह कहना बहुत मुश्किल है क्योंकि पहलगाम का हमला बहुत गंभीर है.
उनके मुताबिक़, पिछली चार जंगों का इतिहास देखें तो भारत ने पहले शुरुआत नहीं की, हर बार पाकिस्तान ने ही जंग शुरू की.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी.
पहलगाम हमले के बाद बीजेपी सरकार पर दबाव है और भारत ने कई कड़े फ़ैसले किए हैं.
इससे पहले भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था और एक बूंद भी पानी पाकिस्तान में न जाने देने की चेतावनी दी थी.
जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने कहा था कि पानी रोकने या उसे मोड़ने की किसी भी कार्रवाई को वह जंग की कार्रवाई मानेगा.
मौजूदा तनाव बहुत अधिक है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इससे चिंतित दिख रहा है.
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से बात की है और तनाव कम करने की अपील की है.
राहुल बेदी का कहना है कि दोनों देशों के बीच हालात बहुत जटिल हैं.
उनका कहना है, 1965 और 1971 की लड़ाई देखें तो वेस्टर्न सेक्टर्स में दोनों देशों के बीच लड़ाई लगभग ड्रॉ पर छूटी थी. कोई भी जंग होती है तो यह एकतरफ़ा नहीं होगी.
*#WATCH | Bengaluru, Karnataka: On mock drills to be held tomorrow, Prashant kumar Thakoor, DGP Fire Emergency Services, Director Civil Defence, says, In the morning, all the states, including Karnataka had a meeting with MHA, about preparedness of civil defence and emergency… pic.twitter.com/h87AxnqBra
— ANI (@ANI) May 6, 2025
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