मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम इन दिनों मुश्किलों में हैं। लाल किले पर अधिकार को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।
याचिका खारिज होने के बाद, सुल्ताना बेगम कैमरे के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए रो पड़ीं। उन्होंने खुद को मुगल सम्राट की कानूनी उत्तराधिकारी बताते हुए दिल्ली स्थित लाल किले पर कब्जे की मांग की थी।
सुल्ताना बेगम ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने लाल किले का जिक्र नहीं किया था, बल्कि बहादुर शाह जफर के घर पर कब्जे की मांग की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह लाल किला है, जफर महल है या फतेहपुर सीकरी, यह सब सरकार जानती है।
हाई कोर्ट ने मांग खारिज कर दी, कोई बात नहीं। लेकिन मुझे उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन आज वह उम्मीद टूट गई। अब मैं कहां जाऊं? क्या जाकर भीख मांगूं या बहादुर शाह जफर को बदनाम करूं? क्या करूं? उन्होंने पूछा।
उन्होंने याद दिलाया कि बहादुर शाह जफर ने अपने देश के लिए बहुत कुछ किया, अपने बेटे की कुर्बानी दी, उनका ताज छीन लिया गया, लेकिन उन्होंने कभी अपने देश के साथ गद्दारी नहीं की। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें पेरिस और झेलम जैसे कई देशों से मदद के प्रस्ताव मिले, लेकिन उन्होंने अपना देश छोड़ने से इनकार कर दिया।
सुल्ताना बेगम ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि जिन्होंने अपने देश के साथ गद्दारी की, वे ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं, जबकि जो अपने देश के लिए वफादार थे, उनका परिवार आज तकलीफ में है।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। पहले तो उन्होंने जनता से मदद लेने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा था, लेकिन अब जब कोई विकल्प नहीं बचा है, तो वे जनता से मदद लेंगी।
सुल्ताना बेगम की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने चुटकी लेते हुए कहा, सिर्फ लाल किला ही क्यों, फतेहपुर सीकरी और बाकी ऐतिहासिक धरोहरों पर दावा क्यों छोड़ दिया?
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को स्पष्ट आधारों की कमी के कारण खारिज कर दिया था। सुल्ताना बेगम ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।
आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की वंशज रोशन आरा ने कहा कि उन्होंने लाल किले पर कब्जे का दावा किया था, लेकिन उन्हें पता था कि उन्हें यह नहीं मिलेगा। फिर भी उन्होंने याचिका दायर की क्योंकि वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।
रोशन आरा ने कहा कि उनका परिवार ऐसे परिवार से है जिसने देश के लिए बलिदान दिया है। उनकी याचिका खारिज कर दी गई है, जो उनके साथ अन्याय है। बहादुर शाह जफर हमेशा देश के प्रति वफादार रहे, उन्होंने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?
उन्होंने आगे कहा कि सुल्ताना जी ने भी कई बार मदद मांगी, लेकिन कोर्ट ने उनके साथ न्याय नहीं किया। अंग्रेजों ने उनके साथ बहुत अन्याय किया। अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती तो वे कहां जाएं? उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह उनके परिवार की सुध ले। भारत में कई मुगल इमारतें हैं जिनसे सरकार को राजस्व मिलता है, लेकिन मुगलों का एक परिवार गरीब की तरह जीने को मजबूर है।
*#WATCH | Howrah, West Bengal | The Supreme Court rejected the plea of the descendant of Mughal emperor Bahadur Shah Zafar seeking possession of his house.
— ANI (@ANI) May 5, 2025
Sultana Begum, great-granddaughter-in-law of the last Mughal emperor, Bahadur Shah Zafar, got emotional and said, I did not… pic.twitter.com/ysZo4FhXxk
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