क्या भारत को इजरायल जैसा हथकंडा अपनाना चाहिए? पाकिस्तान से तनाव के बीच क्यों उठी बात
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भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, सोशल मीडिया पर एक संदेश वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि कश्मीर में इजरायली देखे गए हैं और इजरायल युद्ध में भारत की मदद करने वाला है. हालांकि, यह सच नहीं है कि इजरायली सेना से कोई भी भारत आया है, फिर भी पाकिस्तान में इजरायल का डर क्यों है?

इजरायल की आतंकवाद विरोधी नीति ने उसे कई अरब देशों से घिरे होने के बावजूद मजबूत बनाए रखा है. उसने हिज्बुल्ला और हमास जैसे बड़े आतंकवादी संगठनों को भी कमजोर कर दिया है.

पहलगाम में निर्दोष भारतीयों के खून बहने के बाद, भारत में यह सवाल उठ रहा है कि क्या उसे भी इजरायल जैसी आतंकवाद विरोधी नीति अपनानी चाहिए. 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला किया, जिसमें हजारों इजरायली नागरिक मारे गए और बंधक बना लिए गए. इसके जवाब में, इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमला किया, जो अब तक जारी है.

इजरायल का दावा है कि उसने पिछले डेढ़ साल में हमास के 17,000 आतंकियों को मार गिराया है, हालांकि स्वतंत्र एजेंसियां इस आंकड़े को लगभग 9,000 मानती हैं. गाजा में भारी नुकसान हुआ है, जिसकी लागत 1,850 करोड़ डॉलर आंकी गई है.

जानकारों का मानना है कि पहलगाम आतंकी हमले का जवाब ऐसा होना चाहिए जिससे पाकिस्तान प्रायोजित आतंक लंबे समय तक खामोश रहने को मजबूर हो जाए. इजरायल एक ऐसा देश है जो कई देशों में मौजूद आतंकी संगठनों का सामना कर रहा है.

इजरायल की आतंकवाद विरोधी नीति में शामिल है: आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाना, आतंकी संगठनों के बड़े कमांडरों को निशाना बनाना, और आतंक का समर्थन करने वाले देशों या सरकारों के खिलाफ कूटनीतिक और सामरिक कार्रवाई करना. गाजा युद्ध के दौरान, इजरायल ने हमास के दो बड़े कमांडर याह्या सिनवार और इस्माइल हानियेह को मार गिराया.

इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद, शिन बेत और अमान जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है. मोसाद का इंटेलिजेंस दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंटेलिजेंस नेटवर्क में से एक माना जाता है.

मोसाद ने अतीत में कई बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया है, जिसमें 1979 में लेबनान में अली हसन सालामेह को मारना, 1988 में ट्यूनीशिया में यासिर अराफात के डिप्टी अबू जिहाद को मारना और 1995 में माल्टा में फिलीस्तीन इस्लामिक जिहाद के कमांडर फाती शकाकी को मारना शामिल है.

भारत के लिए भी हाफिज सईद, सैफुल्लाह कसूरी, तल्हा सईद, मौलाना मसूद अजहर और सैयद सलाउद्दीन जैसे आतंकी खतरे बने हुए हैं. देश का जनमानस चाहता है कि ऐसे आतंकियों का अंत हो, चाहे इसके लिए कोई बड़ा इंटेलिजेंस ऑपरेशन या कमांडो कार्रवाई ही क्यों न करनी पड़े.

इजरायल की नीति का तीसरा मुख्य बिंदु है आतंक का समर्थन करने वाले देश या सरकारें. इजरायल हमला होने का इंतजार नहीं करता, बल्कि हमला होने से पहले ही प्रहार करता है. इसे PRE EMPTIVE ACTION कहा जाता है.

1967 में, इजरायल ने मिस्र पर अचानक हवाई हमला कर मिस्र की पूरी एयरफोर्स को तबाह कर दिया था, क्योंकि उसे खबर मिली थी कि मिस्र बड़ी तादाद में हथियार खरीद रहा है और इजरायल पर हमले का प्लान बना रहा है.

अगर पाकिस्तान के लिहाज से देखा जाए, तो भारत के खिलाफ पाकिस्तान में हमेशा साजिशें रची जाती रही हैं. इसी वजह से ये बहस शुरु हुई है कि अब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ PRE EMPTIVE ACTION लेना चाहिए.

जिस तरह गाजा में इजरायल को अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ा, उसी तरह भारत को भी ऐसी नीतियों को अपनाने के बाद बड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद इजरायल ने साफ कर दिया है कि वह भारत से आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद रखता है.

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