रूसी हिरासत में यूक्रेनी पत्रकार विक्टोरिया की दर्दनाक मौत: मस्तिष्क निकाला, हड्डियां तोड़ीं, सिर मुंडवाया
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यूक्रेन की 27 वर्षीय पत्रकार विक्टोरिया रोशच्यना की मौत के खुलासे ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, रूसी हिरासत में उन्हें भयानक यातनाएं दी गईं - उनका मस्तिष्क निकाल लिया गया, हड्डियां तोड़ी गईं, सिर मुंडवाया गया और बिजली के झटके दिए गए.

फ़रवरी में जब जमे हुए जंगल में 757 यूक्रेनी सैनिकों के शव रूस से वापस मिले, तो एक अनजान शव - NM SPAS - एक पुरुष के रूप में दर्ज किया गया, जिसकी मौत का कारण दिल का दौरा बताया गया. बाद में फोरेंसिक जांच से यह सामने आया कि वह शव किसी सैनिक का नहीं, बल्कि गायब हुई पत्रकार विक्टोरिया रोशच्यना का था.

विक्टोरिया सिर्फ एक पत्रकार नहीं थीं - वह यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों में रूसी अत्याचारों की सच्चाई उजागर करने वाली निडर रिपोर्टर थीं. जुलाई 2023 में वह गुप्त हिरासत केंद्रों और यातना स्थलों की पड़ताल के लिए निकली थीं. लेकिन वह खुद उसी क्रूरता का शिकार बन गईं जिसे उजागर करने की कोशिश कर रही थीं.

25 जुलाई 2023 को वह लातविया होते हुए रूस में दाखिल हुईं. कुछ ही समय बाद उनका फोन बंद हो गया. रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें एनरहोदार में पकड़ा गया, और फिर FSB द्वारा संचालित मेलिटोपोल के गाराज नामक यातना स्थल ले जाया गया. हाल ही में सामने आई ऑटोप्सी और जांच रिपोर्ट इस बात का भयानक विवरण देती हैं कि उनकी कैद के दौरान क्या हुआ.

एक पूर्व कैदी ने बताया कि उन्हें बार-बार बिजली के झटके दिए गए, हाथ-पैर में छुरों से वार किए गए और एड़ी में 5 सेमी गहरा घाव दिया गया. रोशच्यना ने अपने जख्म को न छूने की गुहार लगाई थी, लेकिन उनके क्रूर यातनाकारों ने उनकी एक न सुनी.

बाद में उन्हें रूस के टैगानरोग स्थित SIZO-2 जेल में स्थानांतरित किया गया. यहां वह बेहोश और नशे में पाई गईं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उनका वजन महज 30 किलोग्राम रह गया था, वह खुद से सिर भी नहीं उठा सकती थीं. उनका सिर मुंडवाया गया था, पसलियां टूटी हुई थीं और शरीर पर जगह-जगह घाव थे.

जब अंततः उनका शव यूक्रेन को सौंपा गया, तो उसमें गला घोंटने के संकेत मिले - हायॉइड बोन टूटी हुई थी. मस्तिष्क, गला और आंखें गायब थीं, जिससे उनकी असली मौत के कारण की पुष्टि मुश्किल हो गई. माना जा रहा है कि यह यातना के सबूत छिपाने के लिए किया गया.

पूरे एक साल बाद, हिरासत में रहते हुए उन्होंने अपने माता-पिता को केवल चार मिनट की एक कॉल की थी. वही आखिरी बार थी जब उनकी आवाज सुनी गई. उनकी संस्था Ukrainska Pravda की संपादक ने कहा: वह ठीक उसी अत्याचार को उजागर करने की कोशिश में मारी गईं, जिसे उन्होंने भुगता.

यूक्रेनी अधिकारियों ने उनके मामले को युद्ध अपराध के रूप में दर्ज कर लिया है, लेकिन दोषियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होगा.

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