भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दीघा में नव-निर्मित जगन्नाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन वे इसलिए गए थे क्योंकि राज्य सरकार की ओर से उन्हें आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने किसी को भी वहां जाने से नहीं रोका था।
दरअसल, दिलीप घोष अपनी पत्नी रिंकू मजूमदार के साथ उस मंदिर गए, जिसे तृणमूल सरकार ने बनवाया है। वहां उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की, जिससे यह अनुमान लगाया जाने लगा कि वह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी बदल सकते हैं।
समुद्र तट पर संवाददाताओं से बात करते हुए घोष ने कहा, हमारी पार्टी ने हमें जाने से मना नहीं किया था। मुझे आमंत्रित किया गया था और इसलिए मैं यहां आया हूं। मुझमें ऐसा करने का साहस है।
जब उनसे टीएमसी में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने पलटकर सवाल किया, मैं क्यों शामिल होऊं? उन्होंने आगे कहा, मेरा बुरा वक्त नहीं चल रहा है। मैं पिछले 10 वर्षों में नहीं बदला हूं। मैंने अपनी पार्टी नहीं बदली है, जैसे कई लोग चुनाव आने पर पाला बदल लेते हैं। दिलीप घोष को पाला बदलने की जरूरत नहीं है।
घोष के मंदिर जाने और बनर्जी के साथ उनकी मुलाकात का कुछ हिस्सा मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीम किया गया था, जिसने कई लोगों को हैरान कर दिया। कुछ भाजपा नेताओं ने इस पर सार्वजनिक रूप से आलोचना भी की।
वरिष्ठ भाजपा नेता स्वप्न दासगुप्ता ने घोष और बनर्जी के बीच बैठक की एक तस्वीर साझा करते हुए अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि पश्चिम बंगाल में जमीनी स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं में इस स्पष्ट विश्वासघात को लेकर आक्रोश इतना तीव्र है कि राष्ट्रीय नेतृत्व इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता।
हालांकि, दिलीप घोष ने आलोचनाओं का खुलकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि लोग उनके बारे में बातें करते रहते हैं, और भले ही वे नकारात्मक बातें करें, इससे उनका प्रचार ही होता है।
भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने स्पष्ट किया कि पार्टी इस यात्रा का समर्थन नहीं करती है। उन्होंने कहा, यह दिलीप घोष की अपनी मर्जी है, लेकिन पार्टी इस यात्रा का समर्थन नहीं करती। हमारे कई विधायकों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन राज्य के विभिन्न स्थानों पर हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के कारण कोई भी नहीं गया।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से जब इस यात्रा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
The outrage among grassroots BJP Bengal workers at this apparent betrayal by a former state president is too deafening for the national leadership to ignore. pic.twitter.com/novI62Cp32
— Swapan Dasgupta (@swapan55) April 30, 2025
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