करनाल, हरियाणा: पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का अंतिम संस्कार विवादों में घिर गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में महिला नौसेना अधिकारियों को शहीद नरवाल का ताबूत ले जाते हुए दिखाया गया है, जिसमें उन्हें परेशानी हो रही है। इस घटना ने नारीवाद, समानता और सेना में महिलाओं की भूमिका पर बहस छेड़ दी है।
यह घटना 16 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर की बैसरन घाटी में हुई थी, जिसमें 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट नरवाल सहित 26 लोग शहीद हो गए थे। नरवाल की शादी कुछ ही दिनों बाद होने वाली थी।
विवाद तब शुरू हुआ जब लेफ्टिनेंट कर्नल सुमित मोहन गर्ग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि नारीवाद और समानता व्यावहारिक दुनिया में काम नहीं करते। ऐसे गंभीर अवसर पर स्त्री शक्ति का प्रदर्शन करने और दिवंगत आत्मा का अपमान करने का यह किसका विचार था? यह सशस्त्र बलों में महिलाओं की अनुपयुक्तता को भी दिखाता है, जहां शारीरिक क्षमताएं महत्वपूर्ण हैं।
वीडियो में दिख रहा है कि महिला अधिकारी ताबूत उठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिसके बाद पुरुष कर्मियों ने उनकी मदद की। इस दृश्य ने सेना में महिलाओं की भूमिका और उनकी शारीरिक क्षमताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लोगों का मानना है कि यह घटना महिलाओं को युद्ध और परिचालन भूमिकाओं में शामिल करने के तरीके पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
गर्ग की पोस्ट पर कई लोगों ने नाराजगी जताई है। कुछ का कहना है कि यह घटना महिलाओं को सेना में भर्ती करने के खिलाफ एक तर्क के रूप में इस्तेमाल की जा रही है, जहां शारीरिक शक्ति एक महत्वपूर्ण पहलू है। एक यूजर ने कहा, उनमें से चार ताबूत नहीं उठा सकती थीं। वे एक घायल साथी को कैसे उठाकर मीलों तक दौड़ सकती थीं?
हालांकि, कुछ लोगों ने महिला अधिकारियों का समर्थन भी किया है। उनका कहना है कि यह घटना केवल एक अकेली घटना है और इसे सेना में महिलाओं की क्षमता का आकलन करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी सैनिक, चाहे वे पुरुष हों या महिला, अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं और उन्हें सम्मान के साथ देखा जाना चाहिए।
यह घटना सेना में महिलाओं की भूमिका पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देती है। यह देखना होगा कि इस बहस से आगे क्या निष्कर्ष निकलते हैं।
*#Feminism and #Equality don t work in a practical world. Who had the bright idea to showcase feminine power on such a sombre occasion and disrespect the departed soul.
— Lt Col Sumit Mohan Garg, SM (@garysum00) April 28, 2025
It also underlines the unsuitability of women in Armed Forces, where physical capabilities are critical. pic.twitter.com/dWuVdYBcx9
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