मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला: सिलचर-शिलांग हाईवे को मंजूरी, गन्ना किसानों की FRP तय
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दो बड़े फैसले लिए गए हैं। पहला, सिलचर से शिलांग तक नए हाईवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। दूसरा, गन्ना किसानों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) तय किया गया है।

यह सिलचर-शिलांग हाईवे प्रोजेक्ट कुल 22,864 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा। यह एक एक्सेस-कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर होगा। इससे गुवाहाटी से सिलचर तक यातायात सुगम होगा और त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और असम के बराक घाटी क्षेत्र से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। यात्रा का समय और दूरी कम हो जाएगी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने 2025-26 सीजन के लिए गन्ने का FRP 355 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। इस फैसले से गन्ना किसानों को 1,11,701 करोड़ रुपए मिलेंगे। यह मूल्य 10.25% की रिकवरी दर पर आधारित है।

गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए, 10.25% से अधिक प्रत्येक 0.1% की रिकवरी वृद्धि के लिए 3.46 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम दिया जाएगा। रिकवरी में प्रत्येक 0.1% की कमी के लिए एफआरपी में 3.46 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की जाएगी।

जिन चीनी मिलों की रिकवरी 9.5% से कम है, उनके मामले में कोई कटौती नहीं की जाएगी। ऐसे किसानों को आगामी चीनी सीजन 2025-26 में गन्ने के लिए 329.05 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे।

लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को इस निर्णय से लाभ होगा। चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित क्षेत्र है जो विभिन्न गतिविधियों में कार्यरत लोगों की आजीविका को प्रभावित करता है।

यह हाईवे मेघालय में मावलिंग्खुंग से असम में पंचग्राम तक बनेगा। इसकी कुल लंबाई 166.80 किलोमीटर होगी, जिसमें मेघालय में 144.80 किलोमीटर और असम में 22.00 किलोमीटर शामिल हैं।

यह गलियारा असम और मेघालय के बीच संपर्क में सुधार करेगा और मेघालय में उद्योगों के विकास को बढ़ावा देगा, क्योंकि यह सीमेंट और कोयला उत्पादन क्षेत्रों से होकर गुजरता है।

यह गुवाहाटी हवाई अड्डे, शिलांग हवाई अड्डे और सिलचर हवाई अड्डे से आने वाले पर्यटकों को भी सेवा प्रदान करेगा और पर्यटन को बढ़ावा देगा। यह शिलांग-सिलचर कॉरिडोर क्षेत्रीय आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह परियोजना सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो रोजगार पैदा करते हुए बुनियादी ढांचे को बढ़ाती है और मेघालय, असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।

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