नक्सलियों के आतंक का सफाया कभी भी! मुख्यमंत्री साय का बड़ा ऐलान, तेज़ हुआ ऑपरेशन
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छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ चल रहे सबसे बड़े ऑपरेशन की मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने समीक्षा की. उन्होंने कहा कि नक्सलियों का समूल नाश कभी भी हो सकता है.

मुख्यमंत्री ने सोमवार को मंत्रालय में गृह विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कर्रेगुट्टा में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे अभियान की जानकारी ली.

साय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नक्सल उन्मूलन केवल एक सैन्य अभियान नहीं है, बल्कि यह बस्तर और पूरे छत्तीसगढ़ के भविष्य को सुरक्षित करने का एक मिशन है. उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने के संकल्प को दोहराया.

इस अभियान में हेलीकॉप्टर और ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकार का लक्ष्य है छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त और विकासोन्मुख राज्य बनाना.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस ऑपरेशन में जिला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स, विशेष कार्य बल (STF), राज्य पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और इसकी विशिष्ट इकाई कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (KOBRA) समेत विभिन्न इकाइयों के लगभग 24 हजार जवान शामिल हैं.

यह अभियान 21 अप्रैल को शुरू हुआ था और यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 450 किलोमीटर दूर बीजापुर और मुलुगु की सीमा पर लगभग 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नक्सल विरोधी अभियानों में आपसी समन्वय और सूचना संकलन तंत्र को और अधिक मजबूत किया जाए. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त और विकासोन्मुख प्रदेश के रूप में एक नई पहचान मिलेगी.

जिस इलाके में यह अभियान चल रहा है, वह पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है. इसे माओवादियों की पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर एक का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है. बटालियन नंबर एक माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य संगठन है.

खुफिया जानकारी के अनुसार, पीएलजीए बटालियन नंबर एक , तेलंगाना राज्य समिति और माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएस जेडसी) से जुड़े पांच सौ से अधिक नक्सली हिडमा, बरसे देवा और दामोदर जैसे खूंखार नक्सलियों के नेतृत्व में इस इलाके में छिपे हुए हैं.

इस ऑपरेशन का उद्देश्य डीकेएसजेडसी , टीएससी , पीएलजीए बटालियन नंबर एक और सेंट्रल रीजनल कमेटी (सीआरसी) कंपनी के कब्जे से क्षेत्र को खाली कराना है, जो निर्दोष स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के खिलाफ अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए इस क्षेत्र को एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों के खिलाफ यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक इस क्षेत्र को माओवादियों के अवैध और प्रतिबंधित संगठनों से मुक्त नहीं कर दिया जाता. उन्होंने नक्सलियों को हिंसा छोड़ने और आत्मसमर्पण करने का विकल्प भी दिया है.

24 अप्रैल को कर्रे गुट्टा पहाड़ियों पर तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया गया था और सुरक्षाबलों ने हथियारों, विस्फोटकों और अन्य सामग्रियों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया था.

पिछले सप्ताह अभियान के दौरान अलग-अलग स्थानों पर नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर बम में विस्फोट होने से डीआरजी और एसटीएफ के एक-एक जवान मामूली रूप से घायल हो गए थे. कुछ जवानों को पानी की कमी और लू लगने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

छत्तीसगढ़ में 2023 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद नक्सल विरोधी अभियान में तेजी आई है. पिछले वर्ष जनवरी से सुरक्षा बलों ने कई मुठभेड़ों में 350 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है. इस वर्ष अब तक राज्य में अलग-अलग मुठभेड़ों में 144 नक्सली मारे गए हैं.

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