कुणाल की लाश जहां गिरी, वहीं पठान का रुतबा आबाद: क्या दिल्ली हिंदू विहीन हो रही है?
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दिल्ली के सीलमपुर इलाके में, जिसे अब मिनी पाकिस्तान कहा जा रहा है, एक हिंदू युवक की निर्मम हत्या कर दी गई है। जब हिंदू समुदाय ने इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, तो दिल्ली पुलिस ने उल्टा उन पर ही लाठीचार्ज कर दिया। यह घटना बताती है कि दिल्ली में हिंदू असुरक्षित हैं, जबकि मुस्लिम खुलेआम मौज ले रहे हैं।

दिल्ली के इस इलाके में कट्टरपंथी तत्व खुलेआम कानून का मजाक बना रहे हैं, और हिंदू समाज बेबस और लाचार बनकर रह गया है।

इस घटना के पीछे शाहरुख पठान का हाथ बताया जा रहा है। वही शाहरुख पठान जो 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस अधिकारियों पर गोलियां चला रहा था। वह न केवल पुलिस पर गोली चलाने का दोषी है, बल्कि हिंदू विरोधी दंगों को भड़काने में भी उसकी बड़ी भूमिका थी। 24 फरवरी 2020 को मौजपुर में सीएए समर्थक के दौरान, शाहरुख पठान ने हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर खुलेआम पिस्टल तानी थी।

इसके बावजूद, अदालत ने मानवीय आधार पर शाहरुख पठान को अपने बीमार पिता से मिलने के लिए चार घंटे की हिरासत पैरोल दे दी। कोर्ट के आदेश के अनुसार, उसे केवल अपने माता-पिता से मिलने की इजाजत थी, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि कैसे उसके स्वागत में भीड़ उमड़ी थी। पुलिस के सामने ही उसे हीरो की तरह पेश किया गया। दिल्ली पुलिस तमाशा देखती रही, और कट्टरपंथी तत्व शाहरुख का उत्साहवर्धन करते रहे।

बताया जा रहा है कि जब पुलिस साध्वी जी पर लाठियां बरसा रही थी, उसी दौरान शाहरुख पठान इस्लामिक रील बना रहा था। उसे मुस्लिमों का यूथ आइकॉन बनाया जा रहा है। सीलमपुर का ही एक दरिंदा, साहिल अंसारी, हिंदू युवक कुणाल की चाकुओं से गोद-गोद कर हत्या करने का आरोपी है।

यही नहीं, मार्च 2022 में भी उसे उसके पिता की सर्जरी के नाम पर हिरासत पैरोल मिली थी। सवाल यह उठता है कि शाहरुख पठान जैसे अपराधियों को बार-बार राहत क्यों मिल रही है, जबकि हिंदू समाज के वीर सपूत दारा सिंह करीब तीन दशक से पैरोल की गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं? दारा सिंह को तो अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने तक की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन शाहरुख पठान जैसे कट्टरपंथियों को एक नहीं, कई बार मानवीय आधार पर विशेष रियायत दी जा रही है।

आज देश पूछ रहा है - क्या कानून सबके लिए एक समान है? या फिर तुष्टिकरण की राजनीति के चलते हिंदू समाज को ही हर बार कुचला जाएगा? क्या दिल्ली हिंदू विहीन हो रही है? यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब मिलना चाहिए।

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