पल भर में पाकिस्तान में तबाही! चीन-US भी पीछे... DRDO का बेमिसाल हाइपरसोनिक इंजन
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DRDO ने 26 अप्रैल 2025 को स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया, जिसे हाइपरसोनिक मिसाइल में लगाया जाएगा. इस परीक्षण के साथ भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास हाइपरसोनिक हथियार हैं.

यह इंजन हाइपरसोनिक मिसाइल को इतनी गति दे सकता है कि अमेरिका और चीन भी पीछे छूट जाएं. फिलहाल इस मामले में रूस सबसे आगे है, लेकिन अब भारत भी दौड़ में शामिल हो गया है.

पहले यह योजना ब्रह्मोस-2 मिसाइल को लेकर थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हो रही देरी के चलते भारत ने अपनी तकनीक, हथियार और मिसाइल बना ली.

इस इंजन से बनी मिसाइल कुछ ही सेकंड में इस्लामाबाद पहुंच जाएगी. मिसाइल पहले ही बन चुकी है, जिसका परीक्षण नवंबर 2024 में हो चुका है. इसका नाम LRAShM (Long Range Hypersonic Missile) है. नया इंजन इसे और गति देगा.

पहले इस मिसाइल की गति 11,113.2 किमी/घंटा थी, यानी एक सेकंड में 3.087 किलोमीटर. नई मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से थोड़ी ज्यादा है, जिसे तय करने में इसे लगभग 8 मिनट लगेंगे.

दिल्ली से इस्लामाबाद 690 किमी, कराची 1100 किमी और कोलकाता से ढाका 250 किमी और चिट्टेगॉन्ग 370 किमी दूर हैं. यानी एक-दो मिनट से लेकर 6-7 मिनट के अंदर इन शहरों में तबाही पक्की है.

पाकिस्तान सीमा पर रखकर यह मिसाइल दागी जाए तो पूरा पाकिस्तान इसकी रेंज में आएगा. चीन से सटी सीमा पर रखकर दागी जाए तो लगभग 45% चीन इसकी रेंज में आएगा, यानी हिमालय की ओर से.

अगर इसे समुद्र के किनारे रखकर दागा जाए तो अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में दुश्मन देशों के जहाजों को नष्ट कर सकती है. इस एक मिसाइल से रूस और चीन के बाद भारत की धाक एशिया में बढ़ गई है.

भारत की LRAShM हाइपरसोनिक लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल कई तरह के हथियारों को ले जाने में सक्षम है, अलग-अलग रेंज तक. हथियार का वजन कम होने पर इसकी रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा हो जाएगी.

इस मिसाइल को कई तरह के रेंज सिस्टम से ट्रैक किया जा सकता है. भारत के पास हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक करने का सिस्टम भी है, जो दुनिया के कई ताकतवर देशों के पास नहीं है.

यह मिसाइल कई तरह के टर्मिनल मैन्यूवर कर सकती है. यानी दुश्मन चाहकर भी इसे टारगेट नहीं कर सकता. यह अपनी गति, दिशा और मार्ग को जरूरत पड़ने पर बदल सकती है, और इसकी सटीकता बेहद मारक है.

भारत को इससे कई फायदे होंगे:

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चलती हैं, यानी कम से कम मैक 5 (Mach 5). इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी सटीक और ताकतवर होती है कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना असंभव होता है.

आमतौर पर क्रूज मिसाइल या बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक किया जा सकता है, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलों को नहीं. यदि इनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा कर दी जाए और स्वतः दिशा बदलने लायक यंत्र लगा दिए जाएं तो यह हाइपरसोनिक हथियार में बदल जाती हैं.

हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: ग्लाइड व्हीकल्स और क्रूज मिसाइल. अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है, जिनमें स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है.

हाइपरसोनिक मिसाइलें अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं. उत्तर कोरिया भी ऐसी मिसाइल विकसित कर चुका है. भारत भी ऐसी मिसाइल को विकसित करने में जुटा हुआ है.

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