उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में ब्रह्मपुरी की गली नंबर 12 में स्थित अल-मतीन मस्जिद के विस्तार को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। स्थानीय हिंदू समुदाय का आरोप है कि मस्जिद को धोखे से बनाया गया था और अब इसे और बड़ा करने की कोशिश एक सुनियोजित साजिश है।
मस्जिद का नया गेट गली नंबर-12 में खोलने की योजना है, जो ठीक सामने 1984 से बने शिव मंदिर के पास पड़ता है। इस मुद्दे ने हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस प्रशासन से मस्जिद के निर्माण कार्य को रोकने की माँग की, तो एडिशनल डीसीपी संदीप लांबा ने उनसे कहा कि मस्जिद से जुड़े लोगों ने 2 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, ऐसे में निर्माण कार्य चलेगा। पुलिस ने साफ तौर पर कहा कि निर्माण कार्य को रोका नहीं जाएगा।
मस्जिद के विस्तार का मामला 2023 से चल रहा है। पहले जब काम शुरू हुआ तो लोगों ने पुलिस में शिकायत की और निर्माण रुक गया। फिर मस्जिद कमेटी ने 23 नवंबर 2024 को MCD से परमिशन ली। फरवरी 2025 में काम दोबारा शुरू हुआ, लेकिन 13 फरवरी 2025 को उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस को शिकायत मिली। जाँच में पता चला कि मस्जिद का नक्शा गलत तरीके से पास कराया गया था। MCD ने काम रोक दिया और मस्जिद कमेटी को नोटिस भेजा।
हालांकि, रोक के बावजूद मस्जिद का निर्माण कार्य चल रहा था। हिंदुओं ने हंगामा किया, तो पुलिस हिंदू पक्ष के ही दो लोगों को पकड़कर थाने ले गई, हालाँकि अगले दिन उन्हें छोड़ दिया गया।
पुलिस और प्रशासन के इस रवैये के विरोध में गली नंबर-13 में लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगा दिए, जिनमें लिखा था कि पुलिस और MCD की मिलीभगत से अवैध मस्जिद का निर्माण करवाया जा रहा है और 112 पर कॉल करने पर पुलिस उल्टा उन्हें बंद कर रही है। लोग अपने घरों के सामने बैठकर धरना दे रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस और MCD उन्हें अपने मकान बेचने पर मजबूर कर रही हैं।
हिंदुओं का यह भी आरोप है कि यह इलाके की डेमोग्राफी बदलने की साजिश है। उनका कहना है कि पहले मस्जिद बनती है, फिर माहौल बदलता है, और हिंदू पलायन को मजबूर हो जाते हैं।
मस्जिद के नायब इमाम सद्दाम हुसैन ने कहा था, हमें भरोसा है कि मामला ठंडा होने के बाद निर्माण कार्य जरूर पूरा होगा। अभी पुलिस और MCD का दबाव है, लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं चलेगा।
स्थानीय निवासी पंडित शंकर लाल गौतम बताते हैं कि 2013 में कुछ मुस्लिम लोगों ने एक फ्लैट खरीदा था, जहाँ शुरू में नमाज पढ़ी जाने लगी, लेकिन धीरे-धीरे उस फ्लैट को मस्जिद में बदल दिया गया। उनका मानना है कि यह सब सोच-समझकर किया गया ताकि इलाके में मुस्लिमों की पकड़ मजबूत हो।
गौतम का आरोप है कि 25 फरवरी को मस्जिद से गोलियाँ चली थीं। वहाँ अचानक हजारों लोग जमा हो गए और झूठ फैलाया गया कि मस्जिद में आग लगाई गई। इसके बाद गली नंबर-13 में गोलीबारी हुई, जिसमें तीन हिंदू लड़के घायल हुए।
साल 2020 के बाद मस्जिद को बड़ा करने की कोशिश शुरू हुई। 2023 में मस्जिद कमेटी ने गली नंबर-12 में इसके बगल का एक प्लॉट खरीदा, जो पहले एक हिंदू परिवार का था। हिंदुओं को डर है कि मस्जिद का गेट सामने खुलने से रोज झगड़ा होगा और 2020 जैसी घटना दोहराई जा सकती है।
मस्जिद कमेटी अब दावा कर रही है कि गली नंबर-12 में मस्जिद नहीं, बल्कि कम्युनिटी सेंटर बनाया जा रहा था। लेकिन हिंदुओं को यह बात हजम नहीं हो रही। कुछ स्थानीय मुस्लिम भी मानते हैं कि असल में मस्जिद ही बन रही थी।
ब्रह्मपुरी में अल-मतीन के अवैध निर्माण की खबर सामने आते ही स्थानीय हिंदू एकजुट हो गए। उन्होंने प्रशासन से शिकायत की, तो देखिए, प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही। प्रशासन साफ कह रहा है कि मस्जिद बनेगी, जो बिगाड़ना है बिगाड़ लो। pic.twitter.com/lfok2yOwVb
— Shravan Shukla (@epatrakaar) April 26, 2025
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