पापा को खोया, अब डर नहीं... - शहीद के बेटे का दर्दनाक बयान
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई। इस हमले में गुजरात के सूरत का कलथिया परिवार भी शिकार हुआ, जिसने अपने पिता शैलेश को खो दिया।

शैलेश अपने जन्मदिन पर पत्नी और बच्चों के साथ पहलगाम गए थे, जहां बैसरन घाटी में वे मौसम का आनंद ले रहे थे। तभी आतंकियों ने हमला कर शैलेश की हत्या कर दी।

शैलेश के बेटे नक्श ने मीडिया से बात करते हुए इस दिल दहला देने वाली घटना का वर्णन किया है।

नक्श ने बताया कि कश्मीर बहुत सुंदर था। वे पहलगाम गए, जहां घोड़े पर चढ़कर ऊपर गए। 10-15 मिनट बाद आतंकी आए और वे भागकर छिप गए। आतंकियों ने उन्हें ढूंढ लिया और कहा, मुसलमान अलग हो जाएं और हिंदू अलग हो जाएं। उन्होंने केवल हिंदू पुरुषों को गोली मारी।

नक्श आगे बताते हैं कि उनकी मां ने उन्हें घोड़े पर बिठाया, लेकिन वे भागे नहीं, बल्कि मुसलमानों से बात कर रहे थे। तभी सरकार ने उन्हें गोली मार दी।

जब मुझे बताया गया कि मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं, तब मैं बहुत रोया। लेकिन अब डर नहीं लगता। पापा तो चले गए, लेकिन उन्होंने जो मुझे सिखाया, वही मेरी ताकत है, नक्श ने कहा।

नक्श का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें लोग उसे हर हिंदू और हर भारतीय को देखने की बात कर रहे हैं।

यह वीडियो न केवल एक बेटे की श्रद्धांजलि है, बल्कि देश के प्रति जिम्मेदारी, आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा और एक आम हिंदुस्तानी की भावना का प्रतीक भी है।

शहीद शैलेश कलाथिया गुजरात के रहने वाले थे और भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहे थे। उन्होंने पहलगाम में आतंकियों से लड़ते हुए कई जवानों की जान बचाई, लेकिन खुद शहीद हो गए।

नक्श का कहना है कि वह भी अपने पिता की तरह सेना में जाना चाहता है और देश के लिए लड़ना चाहता है।

नक्श ने वीडियो में यह भी कहा, मैं एक हिंदू हूं, और मुझे इस बात पर गर्व है। मेरे पापा भी हिंदू थे और उन्होंने देश के लिए जान दी। अब समय आ गया है कि हर हिंदू जागे और देश के लिए खड़ा हो।

नक्श के इस बयान ने हिंदू समुदाय में एक भावनात्मक लहर पैदा कर दी है।

कई पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनेताओं ने मांग की है कि नक्श को विशेष सैन्य प्रशिक्षण दिलाया जाए, ताकि वह अपने सपने को पूरा कर सके।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि यदि नक्श सेना में भर्ती होना चाहता है, तो उसे हर संभव सहायता दी जाएगी।

शैलेश कलाथिया की शहादत को दो साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी उनके परिवार को वह दर्द नहीं भूला है। नक्श की बातों से साफ है कि शहीदों के परिवारों को सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, भावनात्मक समर्थन की भी जरूरत है।

यह देश का दायित्व बनता है कि वह उन परिवारों के साथ खड़ा हो जो अपने प्रियजनों को देश के लिए कुर्बान कर चुके हैं।

नक्श कलाथिया की आवाज सिर्फ एक बच्चे की आवाज नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी की सोच है। यह सोच आतंकवाद को खत्म करने की, देश के लिए कुछ कर गुजरने की है। यह वीडियो हर हिंदू को, हर भारतीय को देखना चाहिए - ताकि हम समझ सकें कि देश की रक्षा केवल सेना नहीं करती, उनके परिवार भी करते हैं।

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