जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया है। इस क्रूर हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिनमें पर्यटक और स्थानीय लोग शामिल थे। इस घटना के बाद देश में आक्रोश का माहौल है और केंद्र सरकार ने जवाबी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
इस बीच, भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डी. पी. पांडे ने एक कड़ा बयान दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि न्यायाधीशों को पहलगाम जाकर आतंकवाद की सच्चाई को अपनी आंखों से देखना चाहिए।
जनरल पांडे ने एएनआई पॉडकास्ट में स्मिता प्रकाश से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई मामलों में हस्तक्षेप किया है, जिससे सरकार और सेना के निर्णय लेने में देरी हुई है। उनके अनुसार, इस तरह की न्यायिक दखलंदाजी आतंकवाद से लड़ने की क्षमता को कम करती है।
उन्होंने कहा कि जजों को कश्मीर जाकर देखना चाहिए कि सुरक्षा बल किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं और आतंकवाद का जमीन पर क्या प्रभाव है। कश्मीर कोई कोर्ट रूम नहीं है जहां तर्कों और नियमों से ही सबकुछ तय हो। वहां हर क्षण जान का जोखिम है, पांडे ने कहा। वहां जाकर देखें कि आतंकवादियों की क्रूरता किस हद तक पहुंच गई है। तभी जाकर वे देश की सुरक्षा नीतियों को समझ पाएंगे।
जनरल पांडे ने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार उन फैसलों को रोका या विलंबित किया जो सीधे तौर पर आतंकवाद से लड़ने के लिए आवश्यक थे। उनका मानना है कि सरकार और सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अनुमति होनी चाहिए। उन्होंने कहा, यह समय आतंकवाद को खत्म करने के लिए एकजुट होने का है, न कि राजनीतिक या कानूनी उलझनों में फंसने का।
डीपी पांडे ने हमले पर बात करते हुए कहा कि कश्मीर दशकों से अशांति और हिंसा में रहा है। उन्होंने कहा, हाल के सालों में जब सब नॉर्मल होने लगा, तो कुछ ताकतें ऐसी निकल आईं, जो कहती हैं कि शांति तुम्हारे लिए नहीं है। जितना तुम शांति मनाओगे, उतना हम मारेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह हमला एक ऐसा संदेश है जो न केवल डराता है, बल्कि शांति की नींव को भी हिला कर रख देता है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग सैन्य कार्रवाई को राजनीतिक फायदे के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस सोच से यह सवाल उठता है, क्या हम शांति को स्थायी बनाना चाहते हैं या उसे एक प्रचार का औजार बना रहे हैं?
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कश्मीर के विकास के लिए खर्च पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कश्मीर आज जो है, उसके लिए सरकार ने बहुत खर्च किया है। वहां के लोगों के लिए एजुकेशन और हेल्थ फैसिलिटी दी गईं। उन्होंने कहा कि इतना पैसा अगर बिहार पर लगाया जाता, तो आज वो स्टेट कहां से कहां पहुंच गया होता।
पांडे ने सीधे तौर पर पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई को इस हमले का दोषी बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बार-बार कश्मीर की शांति को भंग करने की कोशिश कर रहा है और यह हमला उसी रणनीति का हिस्सा है। पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर पाकिस्तान का मकसद कश्मीर में टूरिज्म को नुकसान पहुंचाना और भय का वातावरण बनाना है।
भारत सरकार ने इस आतंकी हमले को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल संधि की समीक्षा और उसे आंशिक रूप से रोकने का निर्णय शामिल है। इसके अतिरिक्त, सीमा पर सुरक्षा बलों को और अधिक अधिकार दिए गए हैं तथा आतंकवादियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत हो चुकी है।
इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करने के लिए केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इसमें सभी प्रमुख दलों के नेता भाग लेंगे और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
हमले के बाद केंद्र सरकार ने विशेष बलों को कश्मीर घाटी में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है। नये सिरे से तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है और विशेष खुफिया टीमें सीमावर्ती इलाकों में तैनात की गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश यात्रा बीच में छोड़कर भारत लौटते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ बैठक की और त्वरित कदम उठाने का आदेश दिया। विपक्ष ने भी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है, लेकिन साथ ही राष्ट्रीय एकता की बात भी कही है।
लेफ्टिनेंट जनरल डी. पी. पांडे का बयान भले ही तीखा हो, लेकिन वह देश की सुरक्षा व्यवस्था के प्रति चिंता और दर्द का प्रतिबिंब है। अब यह समय है कि राजनीतिक, कानूनी और प्रशासनिक संस्थाएं मिलकर एक साझा रणनीति बनाएं, जिससे देश की जनता और जवान दोनों सुरक्षित रहें।
जब उनसे पूछा गया कि क्या हमें हमला करना चाहिए, सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए? तो इस पर उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें केवल आक्रोश नहीं, बल्कि एक मानसिकता को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि शांति कोई कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है, इसी ताकत को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि शांति तभी स्थायी होगी, जब लोगों का भरोसा मजबूत किया जाए, न कि उन्हें धमकाकर चुप किया जाए।
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— ANI (@ANI) April 23, 2025
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