बांग्लादेश में महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा देने वाली एक रिपोर्ट पर इस्लामी कट्टरपंथी भड़क उठे हैं। उनका कहना है कि यह इस्लाम के खिलाफ है।
महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा देने की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट को कट्टरपंथियों ने खारिज करने की मांग की है। शेख हसीना के बांग्लादेश की सत्ता से हटने के बाद महिला अधिकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं।
हाल ही में, महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले आयोग ने एक रिपोर्ट मोहम्मद यूनुस को सौंपी। इस रिपोर्ट में महिलाओं की भलाई के लिए 433 सिफारिशें की गई हैं।
बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (IAB), और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे इस्लामी संगठनों ने इसे नामंजूर बताया है और इसे रद्द करने की मांग की है।
महिला आयोग की रिपोर्ट में बांग्लादेश में महिलाओं और पुरुषों को समान संपत्ति देने के अधिकार की बात की गई है।
जमात के महासचिव मिया परवार ने कहा कि यह प्रस्ताव इस्लामी कानूनों के खिलाफ है और इसे लागू करना शरिया के खिलाफ खड़ा होना होगा।
परवार ने कहा कि इसमें कई ऐसे प्रावधान हैं जो इस्लामी मान्यता के अनुसार निकाह, तलाक और विरासत नियमों के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम में मर्द और औरत को बराबर रखा जाता है, लेकिन दोनों के काम अलग-अलग बताए गए हैं।
कट्टरपंथी संगठन इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश की महिला शाखा ने रिपोर्ट को सांस्कृतिक और मजहबी मामलों से अलग बताया।
हिफाजत-ए-इस्लाम ने महिला आयोग की पूरी संस्था को खत्म करने की मांग की और इसे इस्लामी कानूनों पर हमला करार दिया। उलेमा माशायेख परिषद ने मजहबी भावनाओं का अपमान बताते हुए रिपोर्ट को खारिज किया है।
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से महिलाओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों के हमले बढ़े हैं।
जनवरी 2025 में महिला फुटबॉल मैचों को भी निशाना बनाया गया था, जहाँ कट्टरपंथियों ने महिलाओं के फुटबॉल खेलने को इस्लामी विरोधी बताकर तोड़फोड़ की थी।
इसके अलावा, नाबालिग और महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। दहेज के नाम पर हिंसा, बाल विवाह, और कार्यस्थलों पर भेदभाव अब भी व्यापक स्तर पर देखा जा रहा है।
महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाली कार्यकर्ता कई बार धमकियों और हमलों का शिकार होती हैं।
इस्लामी कट्टरपंथी भारत में भी यूसीसी जैसे कानूनों का विरोध करते आए हैं और उन्हें लागू न किए जाने की मांग करते रहे हैं। 2024 में उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू किया गया था, जिसका भी उन्होंने विरोध किया था।
Women’s Affairs Reform Commission submitted its report to Chief Adviser Professor Muhammad Yunus at the State Guest House Jamuna on Saturday. pic.twitter.com/NBvldiqvzd
— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) April 19, 2025
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