सुप्रीम कोर्ट पर सांसद का हमला, बीजेपी ने झाड़ा पल्ला, विपक्ष में आक्रोश!
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर दिए विवादित बयान ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है। विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जबकि बीजेपी ने खुद को उनके बयान से अलग कर लिया है।

दुबे के अलावा, उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी।

विवाद बढ़ता देख, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दुबे और शर्मा के बयान उनके निजी विचार हैं और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

नड्डा ने कहा, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा देश की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश को लेकर की गई टिप्पणियां उनके व्यक्तिगत विचार हैं। पार्टी इनसे सहमत नहीं है।

निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर कानून बनाने का काम सुप्रीम कोर्ट का है, तो संसद को बंद कर देना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाएं लांघ रहा है। अगर हर मुद्दे के लिए सुप्रीम कोर्ट का ही रुख करना है, तो फिर संसद और विधानसभाएं क्यों चल रही हैं?

दुबे ने समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 377 के तहत समलैंगिकता को अपराध माना गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाकर इसे समाप्त कर दिया।

दुबे ने संविधान के अनुच्छेद 141 और 368 का हवाला देते हुए कहा कि संसद को कानून बनाने का अधिकार है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का काम केवल कानूनों की व्याख्या करना है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश देने का भी आरोप लगाया।

दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी से जुड़े मुद्दे उठते हैं, तो कोर्ट कागज मांगता है। लेकिन मुगलों के समय बनी मस्जिदों के लिए पूछा जाता है कि प्रमाण कहां हैं? सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है।

उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, जो मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं, और संसद, जो देश के लिए कानून बनाती है - क्या आप उन्हें निर्देश देंगे? आपने यह नया कानून कैसे बना दिया कि राष्ट्रपति को तीन महीने में कोई फैसला लेना होगा? यह सब देश को अराजकता की ओर ले जाने की कोशिश है।

दुबे ने कहा कि संसद सत्र में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

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