क्या सुप्रीम कोर्ट धार्मिक युद्ध भड़का रहा है? निशिकांत दुबे के बयान पर मचा बवाल
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए बयान से राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है। विपक्ष इस बयान पर निराशा व्यक्त कर रहा है, वहीं भाजपा ने खुद को इससे अलग कर लिया है।

निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर कानून शीर्ष अदालत ही बनाएगी, तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उनके इस बयान ने बहस को जन्म दे दिया है।

दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर देश में धार्मिक युद्धों को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है।

उन्होंने समलैंगिकता के मुद्दे पर भी टिप्पणी की। दुबे ने कहा कि अनुच्छेद 377 में समलैंगिकता को एक बड़ा अपराध माना गया था। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया में सिर्फ दो लिंग हैं: पुरुष और महिला। उन्होंने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन और सिख सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है।

दुबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक सुबह अपने फैसले में कहा कि वह इस मामले को खत्म करते हैं। उन्होंने अनुच्छेद 141 का हवाला देते हुए कहा कि संसद जो कानून बनाती है, वह निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होता है। उन्होंने अनुच्छेद 368 का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि संसद को सभी तरह के कानून बनाने का अधिकार है, जबकि सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है।

उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति और राज्यपाल से पूछ रहा है कि उन्हें विधेयकों के संबंध में क्या करना है।

दुबे ने यह भी कहा कि जब राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी के मामले आते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट कहता है कि हमें कागज दिखाओ । उन्होंने सवाल किया कि मुगलों के आने के बाद जो मस्जिद बनी है, उसके लिए कागज कहां से दिखाएंगे।

निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहता है। उन्होंने कहा कि संसद देश का कानून बनाती है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे निर्देश कैसे दे सकता है? उन्होंने सवाल उठाया कि किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना है?

भाजपा ने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर की गई तीखी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन टिप्पणियों को उनके निजी विचार बताकर खारिज कर दिया।

दुबे का यह बयान ऐसे समय आया है, जब सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।

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