घातक घिबली: मासूम कार्टून कैसे बने बंगाल में नफरत के हथियार
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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में भड़के दंगों के दौरान सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के लिए घिबली स्टाइल वाली तस्वीरों का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है।

आजतक फैक्ट चेक को कई ऐसी घिबली स्टाइल वाली तस्वीरें मिली हैं जिनमें हथियारों से लैस लोग नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों को भड़काऊ संदेशों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

लोग ऐसी तस्वीरें दो कारणों से शेयर कर रहे हैं: घिबली स्टाइल की लोकप्रियता का फायदा उठाना और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट मॉडरेशन सिस्टम को चकमा देना।

धार्मिक रैलियों में धारदार हथियार लिए हुए लोगों की तस्वीरें घिबली के अंदाज में खूब बनाई जा रही हैं। ऐसी तस्वीरों के साथ लोगों को तलवार और पत्थर वगैरह इकट्ठा करके रखने की सलाह दी जा रही है।

गोपाल मुखर्जी उर्फ गोपाल पाठा की घिबली स्टाइल की तस्वीरें भी मुर्शिदाबाद हिंसा के संदर्भ में खूब शेयर हो रही हैं। इनके साथ भड़काने वाले कैप्शन भी लिखे जा रहे हैं। लोगों को हथियार उठाने को उकसाया जा रहा है।

कट्टरपंथी मुस्लिमों से हिंदू महिलाओं और बच्चों की रक्षा करने के लिए सेना बनाने का आह्वान किया गया है।

बंगाल के हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं की घिबली स्टाइल की कई तस्वीरें भी इस संदर्भ में शेयर हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर, हिंदू संहति नामक संस्था के संस्थापक तपन घोष की घिबली स्टाइल तस्वीर 9 अप्रैल को फेसबुक पर शेयर की गई। इस तस्वीर में तपन किसी सभा को संबोधित करते दिख रहे हैं और साथ ही बंगाली में लिखा है, अपने धर्म की रक्षा के लिए कौन-कौन गोपाल मुखर्जी बनने के लिए तैयार है? अब पक्का इरादा कर लो।

इस आर्ट स्टाइल को नेताओं पर निशाना साधने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, बंगाल बीजेपी ने ममता बनर्जी का कार्टून बनाकर उन्हें हिटलर के रूप में दिखाया।

घिबली स्टाइल की एक अन्य तस्वीर में ममता बांसुरी बजाती दिख रही हैं और पीछे भयानक आग लगी दिखती है।

कुछ तस्वीरों में घिबली स्टाइल के जरिये मुर्शिदाबाद से हिंदुओं के पलायन का दर्द भी दिखाने की कोशिश की गई है। बंगाल की कुछ हालिया चर्चित घटनाओं को भी घिबली स्टाइल में दिखाया जा रहा है।

एक्स की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी हिंसक फोटो या वीडियो में उचित लेबल लगा है और वो जरूरत से ज्यादा क्रूरता, खून-खराबा या यौन हिंसा को नहीं दिखाती, तो उसे पोस्ट किया जा सकता है। लेकिन इनके जरिये किसी को धमकाने, भड़काने, महिमामंडन करने या हिंसा भड़काने की अनुमति नहीं है।

यह साफ है कि फिलहाल सोशल मीडिया के फिल्टर घिबली की आड़ में सांप्रदायिक नफरत भड़काने वाले पोस्ट को रोकने में नाकाम हैं।

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