हिन्दू मृतकों को ठीक से अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं, आतंकी के जनाजे में 2 लाख की भीड़
News Image

मृत शरीर के भी कुछ अधिकार होते हैं, सम्मानजनक अंतिम संस्कार के। दुर्भाग्य से, भारत में ये आतंकियों को तो सहज उपलब्ध है लेकिन हिन्दुओं को नहीं।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल ही में मुस्लिम भीड़ सड़कों पर निकली, वक़्फ़ बोर्ड संशोधन कानून के विरोध में। भीड़ ने रेलवे सेवा ठप्प कर दी, सार्वजनिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस वालों ने मस्जिद में छिपकर जान बचाई और हिन्दुओं की दुकानों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया।

लगभग 400 हिन्दुओं ने पलायन कर मालदा में शरण ली। इसी बीच हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ गढ़ने वाले हरगोविंद दास और चंदन दास को घर में घुसकर मार डाला गया। इस घटना को मेनस्ट्रीम मीडिया ने कवरेज नहीं दी और बात-बार पर कोर्ट जाने वाले गिरोहों ने चुप्पी साध ली।

अब खबर है कि इन पिता-पुत्र को मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी उपलब्ध नहीं हुआ। मुस्लिम भीड़ तलवारों, चाकुओं, लाठी-डंडों और पत्थरों से लैस थी, जिसे TMC सरकार का समर्थन प्राप्त है। स्थानीय हिन्दू भी डरे हुए हैं।

पीड़ितों में अधिकतर दलित हैं। उनके परिवार के 13 सदस्यों ने भागकर झारखंड के राजमहल में शरण ली। दोनों के अंतिम संस्कार में न पुरोहित आए और न नाई। ब्राह्मणों ने इसे पुलिस से जुड़ा मामला बताया तो नाइयों ने सामान न होने की बात कहकर टाल दिया, क्योंकि वे मुस्लिम भीड़ से डरे हुए थे।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 10 लाख रुपए की क़ीमत लगाई इनकी जान की, लेकिन परिवार ने इसे ठुकरा दिया, उन्हें न्याय चाहिए। BSF इलाके में तैनात है, लेकिन न्याय कौन दिलाएगा?

दिल्ली के सीलमपुर में भी गिहारा समाज से आने वाले कुणाल नामक नाबालिग लड़के को चाकुओं से गोदकर मार डाला गया। 17 साल के कुणाल के हत्यारे मुस्लिम हैं, इसीलिए किसी भी पिछड़ों के ठेकेदार ने कोई आवाज़ नहीं उठाई।

मुर्शिदाबाद का ब्राह्मण और नाई हो या फिर सीलमपुर का गिहारा, मुस्लिम भीड़ की हिंसा में सब समान रूप से निशाना बनाए जाते हैं और कोई इनके लिए आवाज़ भी नहीं उठाता। कश्मीर से पंडितों का पलायन हुआ, पश्चिम बंगाल में दलितों का हो रहा है।

जिस जम्मू कश्मीर से हिन्दुओं को भगाया गया, वहाँ बुरहान वानी नामक एक आतंकी मारा जाता है तो उसके जनाजे में 2 लाख मुस्लिम जमा होते हैं। उसे कश्मीर का भगत सिंह बताकर बलिदानी क्रांतिकारियों का अपमान किया जाता है।

उसके जनाजे में दूर-दूर से आए लोगों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था थी। पके हुए चावल, पानी के बोतल और बिस्किट बाँटे जा रहे थे। वहाँ जुटे भारतीय मुस्लिम कह रहे थे कि अब सैकड़ों की संख्या में लड़के हथियार उठाकर कश्मीर को आज़ाद करेंगे।

तभी तो कभी नागपुर, कभी महू तो कभी मुर्शिदाबाद में ये भीड़ निकलकर हिन्दुओं का क़त्लेआम मचाती है और उन्हें अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं होता।

*

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

चिन्नास्वामी स्टेडियम: RCB के लिए पनौती, फैन्स को आई 2008 की याद

Story 1

उत्तर भारत में गर्मी से राहत, कश्मीर में बारिश-बर्फबारी से तापमान 18 डिग्री

Story 1

क्या माया अली बनीं PSL की काव्या मारन? वायरल हुआ वीडियो!

Story 1

शादी में वरमाला से पहले नीला ड्रम देखकर दूल्हा पसीने से लथपथ, दुल्हन हंसी से लोटपोट!

Story 1

मुस्तफ़ाबाद में इमारत ढहने से चार की मौत, विधायक ने उठाए निर्माण पर सवाल

Story 1

देवबंद-रुड़की रेल लाइन को मिली हरी झंडी, दिल्ली-देहरादून की दूरी होगी कम!

Story 1

AI वाली लड़की ने डेटिंग ऐप पर मचाया तहलका! 2 घंटे में 2700 से ज्यादा दीवानों का इजहार

Story 1

वक्फ कानून के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश: मंगलुरु में आजादी के नारे, हैदराबाद में प्रदर्शन की तैयारी

Story 1

हरिद्वार में नशे में धुत महिला का हंगामा, सड़क पर मचाया उत्पात!

Story 1

क्रिकेटर भेजते थे अश्लील तस्वीरें, पूर्व कोच संजय बांगर के बेटे अनाया के चौंकाने वाले खुलासे!