वक्फ एक्ट: सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों? - वकील विष्णु जैन का बड़ा सवाल
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वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस कानून के खिलाफ देशभर से 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस पी.वी. संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट की कार्यप्रणाली और वक्फ कानून से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाए हैं।

विष्णु जैन ने सुनवाई से पहले कहा कि जब उन्होंने वक्फ बोर्ड से संबंधित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी, तब कोर्ट ने उनसे पूछा था कि वे सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए? कोर्ट ने सुझाव दिया था कि उन्हें पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए। उन्हें कोई अंतरिम राहत भी नहीं मिली।

उन्होंने बताया कि वक्फ से जुड़े मुद्दों पर देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट में 140 से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं।

जैन ने सवाल उठाया कि जब हिंदू मंदिरों के अधिग्रहण से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया तो वक्फ कानून के मामले में दूसरा पक्ष सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा और उनकी याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई के साथ अंतरिम आदेश पर भी चर्चा हो रही है?

जैन ने हिंदू मंदिरों के अधिग्रहण से जुड़े मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 13 वर्षों से चार राज्यों के हिंदू बंदोबस्त अधिनियम से संबंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहे थे।

हाल ही में कोर्ट ने इन मामलों को हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया और सवाल उठाया कि ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट में क्यों सुने जाएं।

जैन ने इस दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब क्या मापदंड है कि कोई दूसरा पक्ष सीधे सुप्रीम कोर्ट आए और उनकी सुनवाई तुरंत हो?

वक्फ संशोधन कानून से जुड़े सभी मामलों को व्यवस्थित करने के लिए विष्णु जैन ने एक ठोस सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि उनका सुझाव है कि वक्फ संशोधन अधिनियम से जुड़े सभी मामलों को एक ही हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया जाए। इसके लिए 6 महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने हेतु एक संवैधानिक पीठ का गठन किया जाए।

बुधवार को हुई दो घंटे से अधिक की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून के तीन प्रमुख प्रावधानों पर चिंता जताई।

पहला, कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर की अवधारणा को हटाने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने कहा कि 14वीं-16वीं शताब्दी की मस्जिदों के पास बिक्री विलेख जैसे दस्तावेज नहीं होंगे। ऐसे में उनकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया कैसे होगी?

दूसरा, कोर्ट ने उन प्रावधानों पर सवाल उठाया, जिनके तहत सरकारी भूमि पर दावा होने वाली संपत्तियों को वक्फ नहीं माना जाएगा।

तीसरा, कोर्ट ने वक्फ काउंसिल और बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए पूछा कि ऐसी व्यवस्था क्यों आवश्यक है।

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