आंबेडकर जयंती पर राज ठाकरे का बड़ा बयान: मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने के तर्कों को बाबा साहेब ने दिया था करारा जवाब
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भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने विचारों को साझा किया. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने मुंबई को महाराष्ट्र से अलग रखने के लिए दिए गए तर्कों का प्रभावशाली ढंग से खंडन किया था.

राज ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि बाबा साहेब ने संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का समर्थन किया था और समय आने पर इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया.

उन्होंने आगे बताया कि संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के शुरुआती दौर में, कामरेड दांगे, एसएम जोशी, आचार्य अत्रे और संयुक्त महाराष्ट्र समिति के अन्य नेता दिल्ली में बाबा साहेब के निवास पर उनसे मिले थे. उन्होंने इस आंदोलन में बाबा साहेब और उनके अनुयायियों के सहयोग की मांग की थी. जवाब में, बाबा साहेब ने कहा था कि उनकी शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन संयुक्त महाराष्ट्र समिति के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी. उनका मुंबई स्थित निवास राजगृह संयुक्त महाराष्ट्र समिति की बैठकों का केंद्र बन गया.

राज ठाकरे ने यह भी बताया कि 14 अक्टूबर 1948 को बाबा साहेब ने धार आयोग के सामने एक बयान दिया था, जिसमें मराठी भाषियों के लिए एक अलग राज्य की मांग का समर्थन किया गया था. इस बयान में यह विस्तार से समझाया गया था कि मुंबई महाराष्ट्र का अभिन्न हिस्सा क्यों है. यह स्पष्टीकरण महाराष्ट्र एज अ लिंग्विस्टिक प्रोविन्स में पढ़ा जा सकता है.

MNS प्रमुख ने कहा कि बाबा साहेब ने उन सभी तर्कों को ठोस जवाब दिया था, जिनमें यह कहा गया था कि मुंबई कभी महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं रही या सिर्फ इसलिए कि मुंबई में मराठी भाषी अधिक हैं, वह महाराष्ट्र का हिस्सा कैसे हो सकती है . उन्होंने कहा था कि जैसे मुस्लिम आक्रमणों के बावजूद हिंदू और मुस्लिमों की मूल पहचान खत्म नहीं हुई, वैसे ही अगर मुंबई में गुजराती या अन्य भाषाओं के लोग आ गए, तो इसका यह मतलब नहीं कि मुंबई की मूल पहचान मिट गई. मुंबई की मूल पहचान मराठी भाषी प्रांत की है और वह बदली नहीं जा सकती.

राज ठाकरे ने यह भी याद दिलाया कि बाबा साहेब के निधन के बाद, दादासाहेब गायकवाड़ और बैरिस्टर बी.सी. कांबले जैसे नेताओं ने इस आंदोलन में पूरी ताकत से भाग लिया. बैरिस्टर बी.सी. कांबले ने विधानसभा में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन पर हुए पुलिस अत्याचारों को लेकर ऐसे सवाल उठाए कि मोरारजी देसाई को घुटने टेकने पड़े.

राज ठाकरे ने कहा कि आज जब मुंबई में मराठी भाषा और मराठी लोगों को फिर से दोयम दर्जा देने की कोशिश हो रही है, तब मराठी लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि कितने महान लोगों ने इस लड़ाई के लिए अपना जीवन लगा दिया. उन्होंने मराठी लोगों से एकजुट होकर जाति की दीवारों को तोड़ने और इस प्रांत को गौरव दिलाने की शपथ लेने का आह्वान किया. उन्होंने इसे डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि बताया.

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