लाल किले पर गूंजी विक्रम गाथा, CM यादव बोले - विक्रमादित्य का शासन राम राज्य की याद दिलाता है
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दिल्ली के लाल किले पर सम्राट विक्रमादित्य के जीवन पर आधारित महानाट्य का भव्य मंचन शुरू हो गया है। माधवदास पार्क में आयोजित इस महानाट्य के दूसरे दिन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और दोनों डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल शामिल हुए।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सम्राट विक्रमादित्य के जीवन पर आधारित चित्र प्रदर्शनी और विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर महानाट्य के दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत की।

सीएम मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि लाल किले का प्रांगण भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है। यह इमारत भारत की मान मर्यादा को दुनिया के सामने सीना तान कर खड़ी है। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारत की संस्कृति को चुनौती दी, लेकिन हमारे वीर महापुरुषों ने अपनी आन-बान-शान को बरकरार रखा।

सीएम यादव ने विक्रमादित्य के शासनकाल का वर्णन करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी तलवार के बल पर पूरे देश को सुशासन दिया और मानवता के लिए सारे तंत्र को पुनर्स्थापित किया। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य का शासन भगवान राम के रामराज्य की याद दिलाता है। वीरता, धीरता, गंभीरता और दानशीलता जैसे गुणों से युक्त विक्रमादित्य ने शासन का दायित्व निभाया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के शासन के प्रति अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में सभी राज्य सरकारें गरीबों को आवास, अनाज, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने का काम कर रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस महानाट्य की सराहना की है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के मार्गदर्शन में इस महोत्सव के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य की गौरव गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल जनकल्याण, सुशासन और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए जाना जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने साहित्य, कला और विज्ञान को जिस रूप में प्रोत्साहित किया, वह आज भी हमारे लिए आदर्श है। उनके काल की विक्रम संवत परंपरा आज भी भारतीय संस्कृति की पहचान है। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य और प्रदर्शनी एक सांस्कृतिक आयोजन से कहीं अधिक है।

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