उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और राजनीतिक पार्टियां अभी से ही मतदाताओं को लुभाने में जुट गई हैं। लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूले से समाजवादी पार्टी को अच्छी सफलता मिली थी, और अब उनकी निगाहें विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं।
अखिलेश यादव का ध्यान पूर्वांचल पर है, और एक बार फिर फूलन देवी का नाम चर्चा में है। सवाल यह है कि अखिलेश यादव क्यों फूलन देवी की विरासत को भुनाना चाहते हैं?
इटावा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि फूलन देवी का एक अलग इतिहास है। उन्होंने कहा कि शायद धरती पर किसी महिला को इतना उत्पीड़न और अपमान नहीं सहना पड़ा होगा। नेताजी और समाजवादी पार्टी ने उन्हें लोकसभा में भेजकर उनके साथ हुए अन्याय और अपमान को सम्मान में बदलने का काम किया।
सपा की नजरें फूलन देवी के सहारे निषाद मतदाताओं पर हैं। उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 5 प्रतिशत है, जिसमें 150 से अधिक उपजातियां शामिल हैं। वाराणसी, गोरखपुर, मिर्जापुर, भदोही, गाजीपुर, बलिया सहित 18 जिलों में निषाद समुदाय का प्रभाव है।
अखिलेश यादव ने निषाद मतदाताओं को सपा से जोड़ने के लिए फूलन देवी का जिक्र किया और उनके पिता मुलायम सिंह यादव द्वारा फूलन देवी के लिए किए गए कार्यों को याद दिलाया।
मुलायम सिंह ने 1996 और 1999 में फूलन देवी को भदोही से दो बार चुनाव लड़ाया और उन्हें संसद भेजा। अब अखिलेश यादव फूलन देवी के सहारे निषाद मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं।
निषाद समुदाय के वर्चस्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक बार योगी आदित्यनाथ के गढ़ में ही भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तब उन्हें गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा था।
गोरखपुर उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी और डॉ. अयूब की पार्टी के साथ मिलकर संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा और उन्होंने योगी के गढ़ में जीत हासिल की। हालांकि, बाद में गठबंधन टूट गया और निषाद पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव फूलन देवी की राजनीतिक विरासत को भुनाने में जुट गए हैं।
*फूलन देवी जी का भी एक अलग इतिहास है। शायद धरती पर, दुनिया के इतिहास में इतनी प्रताड़ना इतना अपमान किसी महिला का हुआ होगा। जो व्यवहार, अपमान हुआ था उसको सम्मान में बदलने के लिए नेताजी और समाजवादी पार्टी ने उन्हें लोकसभा में पहुंचाने का काम किया था।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) April 12, 2025
- माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष… pic.twitter.com/xTcYKUpcgo
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