म्यांमार में भूकंप: मलबे में फंसे लोगों को ढूंढने उतरे सायबॉर्ग कॉकरोच
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म्यांमार में हाल ही में आए 7.7 तीव्रता वाले भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। भूकंप के बाद से राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी हैं। इस संकट की घड़ी में अब एक अनोखा और हाईटेक उपाय सामने आया है, जो राहत कार्यों को नई दिशा दे सकता है।

मलबे में फंसे लोगों को खोजने के लिए अब रोबॉटिक कॉकरोच यानी सायबॉर्ग कीड़ों को मैदान में उतारा गया है।

सिंगापुर की होम टीम साइंस एंड टेक्नोलॉजी (HTX) ने नानयांग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी और क्लास इंजीनियरिंग एंड सॉल्यूशन के साथ मिलकर इन रोबॉटिक कीड़ों को तैयार किया है। कैमरा और इंफ्रारेड सेंसर्स से लैस ये कीड़े उन स्थानों पर पहुंचने में सक्षम हैं जहां इंसानी बचाव दल का पहुंचना लगभग असंभव होता है।

भूकंप के बाद राहत कार्यों में तेजी लाने के उद्देश्य से कुल 10 हाइब्रिड रोबॉटिक कॉकरोच तैयार किए गए हैं। इन्हें नेपीडॉ और मंडले में तैनात किया गया है जहां भूकंप के बाद इमारतें ढह गईं और मलबे में कई लोग फंसे हुए हैं। इन कॉकरोच की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बेहद संकरी और खतरनाक जगहों में भी आसानी से घुस सकते हैं।

इन सायबॉर्ग कॉकरोच में कैमरा और इंफ्रारेड सेंसर्स लगे हुए हैं जो मलबे के भीतर की स्थिति को स्कैन करने में मदद करते हैं। इससे बचाव दल को यह जानकारी मिलती है कि किस स्थान पर लोग फंसे हो सकते हैं। इससे बचाव कार्य अधिक सटीक और तेज़ हो जाता है।

HTX के रोबॉटिक्स सेंटर से जुड़े ओंग का हिंग ने बताया, यह पहली बार है जब किसी आपदा राहत कार्य में रोबॉटिक हाइब्रिड कीड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम तकनीकी रूप से कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और समय की कमी भी एक बड़ी बाधा है।

HTX के याप किआन ने बताया कि उन्होंने उन लोगों से बातचीत की जो मलबे में लंबे समय तक फंसे रहे। इसी अनुभव से उन्हें ऐसी तकनीक विकसित करने की प्रेरणा मिली जिससे आपदा के समय तत्काल मदद पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा, हम तब तक यहां डटे रहेंगे जब तक लोगों को हमारी जरूरत है।

HTX के इंजीनियर्स ने जानकारी दी कि इन रोबॉट्स को 2026 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन म्यांमार की आपदा को देखते हुए इन्हें पहले ही काम पर लगा दिया गया है। फिलहाल भले ही इन सायबॉर्ग्स ने किसी व्यक्ति को प्रत्यक्ष रूप से नहीं खोजा हो, लेकिन संकरी जगहों को स्कैन करने में ये बेहद उपयोगी साबित हो रहे हैं।

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