सदियों से भेड़ियों ने शिकार करके अपना पेट भरा. फिर मनुष्यों का दबदबा बढ़ा, तो भेड़िये आसान भोजन और गर्माहट के लिए इंसानों के साथ रहने लगे. यह प्रक्रिया घरेलूकरण कहलाई. भेड़ियों की एक खास प्रजाति मनुष्यों के साथ रहने लगी, जो आकार में छोटे थे. वे हमारी बसाहटों में चले आए और कुत्ते बन गए.
लेकिन इन सबसे अलग, भेड़ियों की एक और नस्ल थी - ज्यादा बड़ी, ज्यादा मजबूत और ज्यादा खूंखार. ये नस्ल बर्फ में रहती थी, लेकिन लगभग 12,500 साल पहले विलुप्त हो गई. उनके जीवाश्मों के अलावा उनकी मौजूदगी का कोई साक्ष्य नहीं था.
अब, एक प्रयोगशाला, कुछ वैज्ञानिक, कुछ उपकरण और सालों की मेहनत के बाद, उसी विलुप्त भेड़िये के कुछ शावक सामने आए हैं.
लोगों को 1993 की स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म जुरासिक पार्क याद आई, जिसमें लाखों साल पुराने जीवाश्मों को रीवायर करके विलुप्त डायनासोरों को जन्म दिया गया था. इसके साथ ही कुछ वाजिब सवाल भी उठने लगे: क्या हम प्रकृति की चाल को बदल रहे हैं? जो जीव विकास में विलुप्त हो चुके हैं, उन्हें क्यों जिलाना? और अगर जिलाना है, तो खोज कहां जाकर खत्म होगी?
5 जुलाई 1996 को स्कॉटलैंड में डॉली नाम की एक क्लोन भेड़ का जन्म हुआ. डॉली को एक अन्य भेड़ के शरीर से निकली कोशिकाओं की नकल करके बनाया गया था. यह स्तनपायी जानवरों में इस तरह का पहला प्रयोग था, जहां एक वयस्क सेल की मदद से क्लोन बनाया गया था.
उसी साल, अमेरिका में जॉर्ज रेमंड रिचर्ड मार्टिन एक उपन्यास का अंतिम ड्राफ्ट पूरा कर रहे थे, जो बाद में A Song of Ice and Fire बना. 2011 में इस उपन्यास पर आधारित टीवी शो गेम ऑफ थ्रोन्स शुरू हुआ. शो में दिखाए गए सफेद रंग के भेड़िये डायरवुल्फ थे, जो करीब 12,500 साल पहले उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते थे.
7 अप्रैल 2025 को टाइम पत्रिका ने अपने अगले अंक का कवर जारी किया, जिस पर एक सफेद रंग के डायरवुल्फ की तस्वीर थी, जिसका नाम रेमस था. अमेरिका की एक बायोटेक कंपनी ने महीनों के शोध के बाद डायरवुल्फ के तीन शावक पैदा किए.
अमेरिका के डैलस में कोलोसल लैब एंड बायोसाइंसेज नाम की कंपनी ने 2021 में de-extinction यानी विलुप्त हो चुके जीवों को फिर से वापस लाने का लक्ष्य रखा. कंपनी ने वूली मैमथ, तस्मानियन टाइगर और डोडो बर्ड को वापस लाने की योजना बनाई, लेकिन मार्च 2025 में उन्होंने डायरवुल्फ की प्रजाति विकसित करने की घोषणा की.
कंपनी के पास डायरवुल्फ के तीन शावक हैं: मेल डायरवुल्फ रोमुलस, रेमस और उनकी बहन खलीसी.
डायरवुल्फ बनाने के लिए, कोलोसल के वैज्ञानिकों ने डायरवुल्फ के दो जीवाश्मों का उपयोग किया: ओहायो में मिली डायरवुल्फ की खोपड़ी में मौजूद दांत और इडाहो में मिली डायरवुल्फ के कान की हड्डी. इन जीवाश्मों से डीएनए निकालकर स्टडी की गई. साथ ही, आम भेड़िये (कॉमन ग्रे वुल्फ) के डीएनए की भी स्टडी की गई. दोनों के डीएनए को पढ़ने के बाद वैज्ञानिकों को समझ में आया कि आम भेड़िये के 14 जीन्स में बदलाव किये जाएं, तो डायरवुल्फ़ को जन्म दिया जा सकता है.
वैज्ञानिकों ने एक अन्य कॉमन ग्रे वुल्फ़ की रक्त धमनियों से डीएनए निकाला और उसके उन 14 जीन्स में बदलाव किया, जिससे डायरवुल्फ़ बनाया जा सके. ये जीन डायरवुल्फ़ के बड़े आकार, सफेद खाल और बाल, बड़े सिर, बड़े दांत, शक्तिशाली कंधे और पैर, और आवाज को नियंत्रित करते थे.
इस काम को करने में महीनों का समय लगा. सारी मेहनत के बाद वैज्ञानिकों के पास एक ऐसे न्यूक्लियस का प्रकार था, जिसमें वो सारे जीन मौजूद थे, जिससे एक डायरवुल्फ़ को जन्म दिया जा सकता था. अपने सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए ऐसे 45 न्यूक्लियस बनाए गए.
इन न्यूक्लियस को एक ऐसे सेल में ट्रांसफर किया गया, जिसके अंदर का पहले से मौजूद न्यूक्लियस निकालकर उसे Denucleated बना दिया गया था. कुछ हफ्तों तक इन तमाम सेल्स को लैब में रखा गया. इस दौरान इनमें विभाजन शुरू हुआ.
एक विशेष प्रजाति के कुत्ते को भेड़ियों के साथ मिक्स किया गया, ताकि एक बड़े आकार की माँ का निर्माण किया जा सके. पहले से तैयार भ्रूण को इस प्रजाति की बच्चेदानी में ट्रांसफर कर दिया गया.
1 अक्टूबर 2024 को दो डायरवुल्फ शावकों - रोमुलस और रेमस - का जन्म हुआ. 30 जनवरी 2025 को खलीसी का जन्म हुआ.
खबरों के मुताबिक, डायरवुल्फ अपने व्यवहार में आम कुत्तों या भेड़ियों की तरह नहीं हैं. वे आसपास मौजूद मनुष्यों के संपर्क में आने से बचना चाहते हैं.
कोलोसल का अगला प्रोजेक्ट वूली मैमथ को रिवाइव करने का है. मार्च 2025 में कंपनी ने जानकारी दी कि उन्होंने मैमथ के जीन की कॉपी तैयार कर ली है और उस जीन और चूहे के जीन को मिक्स करके एक चूहे को जन्म दिया है, जिसे मैमथ माउस कहते हैं.
जीन से एडिटिंग और पुनर्जीवन की कवायद में क्या हम एथिक्स को ताक पर रखने को तैयार हैं? जैव विकास के सिद्धांत के अनुसार, जो जीव वातावरण के अनुकूल नहीं हो पाते हैं, वे प्राकृतिक चयन की प्रक्रिया में पीछे छूट जाते हैं और समय के साथ गायब हो जाते हैं. ऐसे में, उन्हें फिर से वापस लेकर आना कितना सही है?
कोलोसल लैब्स का कहना है कि भेड़िये हमारे पर्यावरण तंत्र के संतुलन और संरचना को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इन महत्त्वपूर्ण इकाइयों को फिर से जिलाना, संरक्षण के उनके विशाल लक्ष्य का हिस्सा है.
सोशल मीडिया में लोगों का सवाल है कि अभी जो भेड़िये मौजूद हैं, वो ये काम क्यों नहीं कर पा रहे हैं? और पर्यावरण के संतुलन या संरचना में ऐसा क्या गड़बड़ है, जिससे कोलोसल को लगता है कि वो इसका इलाज कर सकते हैं?
डायरवुल्फ, मैमथ, चूहा, डोडो... लिस्ट लंबी बनी है. सवाल है कि यह लिस्ट कहां जाकर खत्म होगी? क्या हम दायरे बढ़ाकर उन जीव जंतुओं को भी लेकर आने वाले हैं, जो मानव सभ्यता के लिए खतरा हो सकते हैं? यदि ऐसा नहीं है, तो नियंत्रण कैसे बनेगा?
The first dire wolf howl in over 10,000 years pic.twitter.com/Z4PSKdjzYI
— Nature is Amazing ☘️ (@AMAZlNGNATURE) April 7, 2025
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