औरंगजेब द्वारा ध्वस्त मंदिर स्थल पर BJP विधायक ने लगाई झाड़ू, विवाद गहराया
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वाराणसी: वाराणसी दक्षिणी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक नीलकंठ तिवारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वे ऐतिहासिक धरहरा मस्जिद में झाड़ू लगाते दिख रहे हैं, जबकि पृष्ठभूमि में BJP कार्यकर्ता मोदी-योगी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं।

धरहरा मस्जिद के बारे में यह दावा किया जाता है कि इसे 1669 में औरंगजेब के शासनकाल में बिंदुमाधव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। यह मस्जिद लंबे समय से विवादों में घिरी हुई है और इस संबंध में दो मुकदमे अदालत में लंबित हैं।

वायरल वीडियो सोमवार सुबह का बताया जा रहा है। विधायक नीलकंठ तिवारी ने BJP के स्थापना दिवस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी में 11 अप्रैल को प्रस्तावित आगमन को लेकर विधानसभा के विभिन्न वार्डों में स्वच्छता अभियान चलाया। इसी क्रम में उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ पंचगंगा घाट, बिंदुमाधव मंदिर और मस्जिद सहित कई स्थानों पर झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया।

इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।

धरहरा मस्जिद की देखरेख वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा की जा रही है। मस्जिद के मुअज्जिन के अनुसार, यह पहली बार है जब किसी विधायक ने मस्जिद में साफ-सफाई की है।

विधायक का यह वीडियो प्रसारित होने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। धार्मिक दृष्टिकोण से, वाराणसी की ऐतिहासिक धरहरा मस्जिद का विशेष महत्व है।

पंचगंगा घाट पर स्थित बिंदुमाधव मंदिर और धरहरा मस्जिद का मामला ऐतिहासिक और संवेदनशील है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, बिंदुमाधव मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन मंदिर था, जिसका उल्लेख पुराणों और तुलसीदास की रचना विनय पत्रिका में भी मिलता है। इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था।

हिंदू पक्ष का दावा है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कर धरहरा मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद के निकट ही पंचगंगा घाट पर बिंदुमाधव मंदिर आज भी मौजूद है। धरहरा मस्जिद को आलमगीर मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।

इस मस्जिद में हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली के निशान आज भी देखे जा सकते हैं। हिंदू पक्ष का यह भी दावा है कि इसमें मंदिर के अवशेष, जैसे शिवलिंग और भगवान विष्णु से संबंधित प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं।

इस मुद्दे पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि यह मूल रूप से एक मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1932 से यह मस्जिद ASI के संरक्षण में है।

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