देशभर में वक्फ संशोधन अधिनियम लागू, नए नियमों से होंगे ये बदलाव
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वक्फ संशोधन अधिनियम आज से पूरे देश में लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार, वक्फ अधिनियम को 8 अप्रैल से प्रभावी माना जाएगा। पिछले सप्ताह संसद और राष्ट्रपति ने वक्फ संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी थी। इसके बाद यह अनिश्चित था कि यह नया कानून कब से लागू होगा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इस संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी थी, जिसे बजट सत्र के दौरान संसद द्वारा पारित किया गया। कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने दोनों विधेयकों को अपनी सहमति दे दी है। राज्यसभा ने 4 अप्रैल को विधेयक के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 मतों से इसे पारित किया था, जबकि लोकसभा ने 3 अप्रैल को लंबी बहस के बाद विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसमें 288 सांसदों ने पक्ष में और 232 ने विरोध में मतदान किया था।

वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें राजनेताओं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिकाएं शामिल हैं। इन याचिकाओं में नए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है।

नए वक्फ कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:

  1. हर कोई वक्फ नहीं कर सकेगा: अब वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता का खंड हटा दिया गया है और यह स्पष्ट किया गया है कि वक्फ संपत्ति से जुड़े मामले पूर्वव्यापी तरीके से नहीं खोले जाएंगे, जब तक कि वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति न हों। वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का समर्थन किया गया है।

  2. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम, महिला सदस्यों का नामांकन: बोर्ड में गैर-मुस्लिम और कम से कम दो महिला सदस्यों को नामित करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, दो पूर्व न्यायाधीश, चार राष्ट्रीय ख्याति के व्यक्ति और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होंगे, जिनमें से कोई भी इस्लामी धर्म से संबंधित नहीं होगा।

  3. सरकारी अधिकारी को जांच की शक्ति: वक्फ से जुड़े विवादों के मामलों में जिला कलेक्टर को जांच की शक्ति दी गई थी, जिसे खत्म कर दिया गया है। अब राज्य सरकार को इन मामलों की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नामित करने का अधिकार दिया गया है।

  4. वक्फ संपत्ति का केंद्रीय डाटाबेस में पंजीकरण: प्रत्येक वक्फ संपत्ति की जानकारी अधिनियम लागू होने के बाद छह महीने के अंदर सेंट्रल डाटाबेस में देना अनिवार्य है। डाटाबेस में किसी भी सरकारी संपत्ति को जिलाधिकारी के पास चिह्नित किया जाएगा, जो बाद में इस मुद्दे पर जांच कर सकेंगे। यदि वक्फ संपत्ति को केंद्रीय पोर्टल में नहीं डाला जाता, तो इससे वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण होने या विवाद पैदा होने पर अदालत जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा। मुतवल्ली (कार्यवाहक) को राज्य में वक्फ न्यायाधिकरण की संतुष्टि के बाद कुछ स्थितियों में पंजीकरण के लिए अवधि बढ़ाने का अधिकार होगा।

  5. अंतिम नहीं होगा न्यायाधिकरण का फैसला: वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के तरीके को भी बदला जा रहा है। न्यायाधिकरण में एक जिला जज होगा और एक संयुक्त सचिव रैंक का राज्य सरकार का अधिकारी सदस्य के तौर पर जुड़ा होगा। न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम नहीं होगा और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।

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