तेजस्वी यादव न तो पढ़े-लिखे हैं और न ही... वक्फ बिल पर तीखा वार-पलटवार
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राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद वक्फ संशोधन बिल अब कानून बन गया है। इस बीच, वक्फ कानून पर बयानबाजी जारी है। अब बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के एक हालिया बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव न तो शिक्षित हैं और न ही शिक्षित होना चाहते हैं।

तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ बिल पर हाल ही में एक विवादित बयान दिया था। पटना में पत्रकारों ने वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने और कानून बनने पर उनकी राय पूछी थी। जवाब में, आरजेडी नेता ने कहा कि वे सरकार बनाएंगे और इस कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे।

जायसवाल ने कहा, तेजस्वी यादव खुद तो पढ़े-लिखे हैं नहीं और न ही पढ़ना चाहते हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि देश में इस समय 37.3 लाख एकड़ जमीन है। मैं यह नहीं बताऊंगा कि यह जमीन कैसे बनी, लेकिन कुल पंजीकृत जमीन में से केवल 30,000 एकड़ जमीन बिहार में है। इसका मतलब है कि बिहार में देश की 10% आबादी और इतनी ही मुस्लिम आबादी होने के बावजूद, उसके पास 1% से भी कम जमीन है। जितनी भी जमीनें हैं, वे सभी नाजायज कब्जे में हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हर तीन साल में दरभंगा में वक्फ बोर्ड का चुनाव होता है, तो वहां गोलियां चलती हैं। जब वे बोर्ड के सदस्य बने, तो उन्हें पता चला कि दरभंगा की वक्फ संपत्ति में सबसे बड़ा हिस्सा अजमेर शरीफ दरगाह का है। लेकिन आज तक अजमेर शरीफ दरगाह को दरभंगा से एक रुपया भी नहीं भेजा गया है, जबकि यह बकायदा रजिस्टर्ड है।

संजय जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी यादव ने अपने जीवन में सिर्फ मुस्लिम अपराधियों को सपोर्ट किया है, जबकि नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों के बड़े तबके के बेटे-बेटियों को नौकरी देने का काम किया है।

बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव के बयान पर कहा कि तेजस्वी यादव उसी पिता के पुत्र हैं, जिन्होंने कहा था कि मेरी लाश पर बिहार बंटेगा। लेकिन सत्ता के लालच और तुष्टिकरण में सबसे पहले आगे बढ़कर केंद्र सरकार के निर्णय को उन्होंने दौड़कर अपनाया था। उनकी कथनी और करनी में कोई समानता नहीं है। ऐसी मानसिकता के लोग सत्ता के लालच में कोई भी समझौता कर सकते हैं।

लोकसभा में बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। सरकार का कहना है कि यह वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला विधेयक है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और दुरुपयोग रोकना है।

कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरजेडी, आम आदमी पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों ने वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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