ट्रंप के टैरिफ से हाहाकार: भारतीय शेयर बाजार में 20 लाख करोड़ स्वाहा!
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7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार के लिए एक भयावह दिन साबित हुआ। कारोबार शुरू होते ही सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों में दहशत फैल गई। यह तबाही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति के कारण उत्पन्न वैश्विक उथल-पुथल का परिणाम थी।

ट्रंप ने अपने अमेरिका फर्स्ट एजेंडे के तहत कई देशों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैरिफ लगाए। इस ट्रेड वॉर ने न केवल अमेरिकी बाजारों को हिला दिया, बल्कि भारत, जापान, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के शेयर बाजारों को भी गहरा नुकसान पहुंचाया।

सोमवार को भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत ही निराशाजनक रही। सेंसेक्स में हजारों अंकों की गिरावट और निफ्टी का लाल होना इस बात का संकेत था कि ट्रंप की नीति का असर अब भारत तक पहुंच चुका है। रुपये की कीमत में भी भारी गिरावट देखी गई। यह गिरावट सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थी। जापान का निक्केई, हांगकांग का हैंगसेंग और ऑस्ट्रेलिया के ASX जैसे सूचकांक भी इस तूफान की चपेट में आ गए। हर जगह शेयरों की कीमतें गिर गईं और निवेशकों में डर का माहौल छा गया।

इस वैश्विक संकट के बीच डोनाल्ड ट्रंप का बयान चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने कहा, मैं नहीं चाहता कि कुछ भी गिरे। लेकिन कभी-कभी आपको चीजों को ठीक करने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ते हैं। यह बयान 2 अप्रैल को घोषित उनके टैरिफ्स के बाद आया, जिसने ग्लोबल ट्रेड वॉर को हवा दे दी थी। ट्रंप की नीति के तहत कई देशों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ और कुछ देशों पर इससे भी ज़्यादा शुल्क लगाया गया। ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत और यूरोपीय संघ पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इस कदम ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया और शेयर बाजारों में भारी गिरावट का सिलसिला चल रहा है। अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है।

भारत में यह संकट सिर्फ ट्रंप के टैरिफ्स का परिणाम नहीं है। ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन की आशंका और घरेलू आर्थिक कमजोरियां भी इस गिरावट में शामिल हैं। छोटे निवेशकों से लेकर बड़े कारोबारी घरानों तक हर कोई अपने नुकसान का आकलन करने में जुटा है। आम आदमी भी इस आर्थिक संकट को महसूस कर रहा है, क्योंकि उनकी बचत और सपने शेयर बाजार की चाल पर टिके हैं। ट्रंप के इस सख्त कदम ने न सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को जोखिम में डाला, बल्कि भारत जैसे उभरते बाजारों को भी गहरे संकट की ओर धकेल दिया है।

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