प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया. अपनी तकनीक और लिफ्ट स्पैनर के कारण यह ब्रिज लंबे समय से चर्चा में रहा है.
पंबन द्वीप को तमिलनाडु की मुख्य भूमि से जोड़ने वाला यह पुल 1964 में एक तूफान में तबाह हो गया था. 2019 में पीएम मोदी ने पुराने पुल की जगह नए और आधुनिक पुल की नींव रखी, जिसका उद्घाटन छह साल बाद हुआ.
रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के निदेशक (संचालन) एमपी सिंह ने बताया कि नया पुल 1964 जैसे शक्तिशाली तूफान या उससे भी ज्यादा खतरनाक तूफान को भी आसानी से झेल सकता है.
उन्होंने बताया कि पिछला पुल 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के तूफान में तबाह हो गया था, जबकि यह पुल 230 किमी प्रति घंटे तक की हवा झेल सकता है.
रेल अधिकारी ने कहा, इस पुल को 230 किमी प्रति घंटे की हवा की गति के साथ-साथ भूकंप को भी झेलने के लिए डिजाइन किया गया है. 1964 के चक्रवात की गति लगभग 160 किमी प्रति घंटा थी और इससे पुराने पुल को काफी नुकसान पहुंचा था.
हालांकि, शेरजर स्पैन, जो जहाजों की आवाजाही के लिए खोला जाता था, चक्रवात से बच गया था और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा. इस बार उच्च तीव्रता वाले चक्रवात से पुल को कोई नुकसान न पहुंचे, इसके लिए अतिरिक्त उपाय किए गए हैं.
रेल विकास निगम लिमिटेड ने भारत में पहली बार इस तरह का पुल बनाया है, जिसमें सामान्य तौर पर रेलगाड़ी गुजरती है, लेकिन जहाज आने पर पुल पूरी तरह से खुल जाता है और जहाज भी आसानी से गुजर सकते हैं. 61 साल पहले तूफान में पुल तबाह हो चुका था, इसलिए इस बार मजबूती का ध्यान रखना बेहद जरूरी था.
सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत, लिफ्ट स्पैनर हर समय बैठी हुई स्थिति में रहेगा और इसे केवल जहाजों की आवाजाही के समय ही उठाया जाएगा.
कंक्रीट के खंभों पर रखे गए गर्डर समुद्र के जल स्तर से 4.8 मीटर ऊंचे हैं, इसलिए उच्च ज्वार की स्थिति में भी, गर्डर तक पानी के स्तर के पहुंचने की संभावना बेहद कम है. पुराने पुल का गर्डर समुद्र के जल स्तर से 2.1 मीटर ऊंचा था, इसलिए उच्च ज्वार के दौरान पानी न केवल गर्डरों पर, बल्कि कभी-कभी ट्रैक पर भी उछलता था.
22 दिसंबर 1964 को रामेश्वरम में आए भीषण चक्रवाती तूफान ने इमारतों के साथ-साथ रेल नेटवर्क को भी तबाह कर दिया था.
रेल मंत्रालय के अनुसार, छह कोच वाली पंबन-धनुषकोडी पैसेंजर ट्रेन 22 दिसंबर को रात 11.55 बजे पंबन से रवाना हुई थी, जिसमें छात्रों के एक समूह और रेलवे के पांच कर्मचारियों सहित 110 यात्री सवार थे. धनुषकोडी आउटर पर सिग्नल गायब हो गया और ट्रेन कुछ देर के लिए रुक गई. तभी अशांत समुद्र से 20 फीट ऊंची एक विशाल लहर उठी और उसने ट्रेन को तोड़ दिया.
शुरुआती रिपोर्टों में हताहतों की संख्या 115 बताई गई थी, लेकिन यह संदेह था कि मरने वालों की संख्या 200 के आसपास रही होगी, क्योंकि उस रात कई यात्रियों ने बिना टिकट यात्रा की थी. ट्रेन दुर्घटना के अलावा, द्वीप पर मरने वालों की संख्या 500 से अधिक थी.
पंबन पुल बह गया था, केवल खंभे, कुछ पीएससी गर्डर्स और लिफ्टिंग स्पैन ही बचे थे.
Historic Moment!🚆🇮🇳
— Southern Railway (@GMSRailway) April 6, 2025
Hon ble Prime Minister Shri Narendra Modi flags off the first train on the iconic #NewPambanBridge marking a new era in India s railway infrastructure!@PMOIndia @narendramodi @AshwiniVaishnaw @RailMinIndia #IndianRailways #SouthernRailway pic.twitter.com/621rNFNpEq
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