थाईलैंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की मुलाकात हुई, जो पिछले आठ महीनों में पहली बार हुई है। भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव के माहौल में हुई इस बैठक में हिंदुओं की सुरक्षा और शेख हसीना के प्रत्यर्पण जैसे मुद्दे छाए रहे।
बैंगकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान हुई इस मुलाकात से यह स्पष्ट है कि दोनों देश संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं और भविष्य में बातचीत के रास्ते खुले रखने के इच्छुक हैं। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए सहयोग और रचनात्मक रिश्ते को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
प्रोफेसर यूनुस ने प्रधानमंत्री मोदी को दस साल पहले हुई मुलाकात की एक तस्वीर भेंट की, जो एक दशक में उनकी पहली आधिकारिक मुलाकात है। बांग्लादेश की ओर से मिली जानकारी के अनुसार दोनों नेताओं के बीच लगभग 40 मिनट तक बातचीत हुई। इस द्विपक्षीय वार्ता में बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर जैसे अधिकारी मौजूद थे।
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते कुछ समय से तनावपूर्ण बने हुए हैं, और पाकिस्तान और चीन के साथ बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
बैठक के दौरान प्रोफेसर यूनुस ने प्रधानमंत्री मोदी को 3 जनवरी 2015 को इंडियन साइंस कांग्रेस में मिले गोल्ड मेडल की तस्वीर दिखाई। प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक की अध्यक्षता संभालने पर बांग्लादेश को बधाई दी और क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने की उम्मीद जताई।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोफेसर यूनुस से बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने बांग्लादेश में शांति, स्थिरता, समावेशी और लोकतंत्र के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया और अवैध रूप से सीमा पार करने की घटनाओं पर रोक लगाने के उपायों पर चर्चा की।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने माहौल को खराब करने वाली बयानबाजी से बचने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा सुरक्षा का भी मुद्दा उठाया और सीमा पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए कानून का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया।
बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया। प्रोफेसर यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश, भारत के साथ अपने संबंध को बहुत महत्व देता है और 1971 के युद्ध के दौरान मिले समर्थन के लिए आभारी है। उन्होंने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के आवेदन में प्रगति के बारे में भी बात की, और कहा कि वह बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही हैं।
प्रोफेसर यूनुस ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की रिपोर्टें बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई हैं और इनमें से बड़ी संख्या फर्जी खबरों की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वह इन कथित हमलों की खुद जांच पड़ताल के लिए पत्रकारों को भेजें।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश का बयान बहुत दूरदर्शी नहीं है और भारत की चिंताओं को हल्के में लिया गया है। कुछ लोगों का कहना है कि यूनुस का हाल ही में चीन में दिया गया बयान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार के दिनों की याद दिलाता है। रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी का कहना है कि मोदी कूटनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने में अपने व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल करने में विश्वास रखते हैं।
Chief Adviser Professor Muhammad Yunus and Indian Prime Minister @narendramodi join a bilateral meeting on the sidelines of sixth BIMSTEC Summit in Bangkok, Thailand on Friday. pic.twitter.com/Ig7OPcSYN0
— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) April 4, 2025
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