लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास, विपक्ष का भारी हंगामा
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लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पारित हो गया है। एनडीए का संख्याबल निर्णायक साबित हुआ। विधेयक के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि 232 वोट इसके खिलाफ डाले गए। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल को पेश किया था। चर्चा के लिए आवंटित 8 घंटे का समय सदन की सहमति से बढ़ाया गया। बिल पास कराने के लिए 272 वोटों की आवश्यकता थी।

विपक्षी दलों ने इस बिल को अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए अदालत में चुनौती देने की बात कही। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लिए यह खतरनाक है और भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इसे हमारे अधिकारों पर हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय और वक्फ दोनों को इससे नुकसान होगा और वे इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने इस दिन को इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज होने की बात कही।

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए इसे मुसलमानों को जलील करने का मकसद बताया। उन्होंने गांधी की तरह बिल की प्रति फाड़ी और सदन की कार्यवाही छोड़कर चले गए।

सरकार की तरफ से चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने बिल को महत्वपूर्ण बताया। सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा था। टीडीपी, जेडीयू और आरएलडी ने भी अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था। केंद्र सरकार में शामिल टीडीपी, जेडीयू और एलजेपी ने बिल का समर्थन किया।

चर्चा के दौरान सत्तापक्ष के सांसदों ने विधेयक को अत्यंत महत्वपूर्ण और सुधारात्मक कदम बताते हुए इसे भारतीय मुसलमानों के हित में बताया। सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाएगा, जिससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा और उनका दुरुपयोग रोका जा सकेगा।

विपक्ष का कहना है कि यह वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करेगा और मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार का अतिक्रमण होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर समाज में भ्रम फैलाने और मुसलमानों को डराकर वोट बैंक बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर भी विपक्ष के दावे खारिज किए। उन्होंने कहा कि सीएए लागू होने के बाद किसी भी मुस्लिम की नागरिकता नहीं गई है और अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला जैसे नेता चुनाव जीतकर लौटे हैं। उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद कम हुआ है और विकास और पर्यटन बढ़े हैं।

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