सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को फटकार: प्रयागराज में तोड़े गए मकानों के लिए 10-10 लाख का मुआवजा देने का आदेश
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में हुए तोड़फोड़ (डिमोलिशन) पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर कड़ी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा है कि कानून के शासन में किसी के घर को इस तरह नहीं तोड़ा जा सकता.

कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण के बुल्डोजर एक्शन को अमानवीय और गैरकानूनी करार दिया है.

अदालत ने इस मामले के सभी याचिकाकर्ताओं को छह हफ़्तों के अंदर 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है.

जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जवल भुयन की खंडपीठ ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन कर घरों को ढहाया गया.

बेंच ने कहा, यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है. आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि घर केवल पैसे से नहीं बनता, और न ही उसके टूटने का ज़ख़्म सिर्फ़ पैसों से भरा जा सकता है. परिवारवालों के लिए घर एक भावना का नाम है, और उसके टूटने पर जो भावनाएं हत होती हैं, उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है.

यह मामला 2021 का है, जिसमें एक याचिकाकर्ता प्रोफ़ेसर अली मोहम्मद फातमी का घर भी बुलडोज़र से गिरा दिया गया था. पीड़ित पक्ष ने इसके ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन उसे नामंज़ूर कर दिया गया था.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि उनके क्लाइंट का घर ग़लत तरीक़े से गिराया गया था और कहा गया था कि जिस ज़मीन पर घर बना है वह गैंगस्टर रहे अतीक़ अहमद की है.

गौरतलब है कि अप्रैल 2023 में अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ अहमद की पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

इससे पहले, अतीक अहमद के कई कथित सहयोगियों के घर पर बुलडोज़र चलाए गए थे, जिनमें याचिकाकर्ताओं का घर भी शामिल था.

जून 2022 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने दावा किया था कि राज्य में बुलडोज़र की कार्रवाई पेशेवर अपराधियों और माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ है .

नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में बुलडोज़र से संपत्तियों को तोड़े जाने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए थे और कहा था कि किसी व्यक्ति के घर या संपत्ति को सिर्फ़ इसलिए तोड़ दिया जाना कि उस पर अपराध के आरोप हैं, कानून के शासन के ख़िलाफ़ है.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि विध्वंस की कोई कार्रवाई पूर्व में कारण बताओ नोटिस दिए बिना नहीं की जानी चाहिए.

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