केजरीवाल और सिसोदिया का पंजाब दौरा: दिल्ली की लीडरशिप का नया ठिकाना?
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दिल्ली में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) की लीडरशिप का ध्यान अब पंजाब पर केंद्रित हो गया है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे शीर्ष नेता लगातार पंजाब का दौरा कर रहे हैं, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या दिल्ली की राजनीति अब पंजाब में शिफ्ट हो रही है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट से हार मिली, वहीं मनीष सिसोदिया जंगपुरा से चुनाव हार गए। इसके बाद दोनों नेताओं ने पंजाब में सक्रियता बढ़ा दी है। मनीष सिसोदिया को हाल ही में आम आदमी पार्टी ने पंजाब का प्रभारी भी बनाया है।

पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में आप सरकार है। हालांकि, दिल्ली में आप की सत्ता जाने के बाद से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि केजरीवाल पंजाब सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से चला रहे हैं। अब सिसोदिया के पंजाब में आने से वहां की राजनीति और भी दिलचस्प हो गई है।

केजरीवाल का अधिकांश समय अब पंजाब में बीत रहा है। दिल्ली चुनाव में हार के बाद से राष्ट्रीय राजधानी के बजाय पंजाब की राजनीति में उनकी अधिक भागीदारी देखी गई है। कई मौकों पर भगवंत मान से ज्यादा सरकारी तंत्र में केजरीवाल को महत्व दिया गया। बिना किसी संवैधानिक पद के, केजरीवाल अस्पतालों से लेकर सरकारी संस्थानों तक में दौरे करते रहे हैं। हाल ही में, वे लुधियाना में एक अस्पताल के उद्घाटन में शामिल हुए, जहां मंत्रियों और अधिकारियों का ध्यान उन पर केंद्रित था।

केजरीवाल के नक्शे कदम पर चलते हुए, मनीष सिसोदिया भी इन दिनों पंजाब में स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। वे भगवंत मान के साथ स्कूलों का दौरा कर रहे हैं, कार्यक्रमों को संबोधित कर रहे हैं, और मान सरकार के कार्यों की प्रशंसा कर रहे हैं। साथ ही, वे दिल्ली की उपलब्धियों को गिना रहे हैं, खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में। वे दावा करते हैं कि पंजाब में अब रॉकेट की गति से काम होगा।

जैसे आप की लीडरशिप पंजाब में शिफ्ट हुई है, वैसे ही दिल्ली का मॉडल भी वहां शिफ्ट कर गया है। केजरीवाल और सिसोदिया दिल्ली के कार्यों का पंजाब में बखान कर रहे हैं। खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य पर दिल्ली की तरह पंजाब में क्रांति लाने के दावे किए जा रहे हैं। भगवंत मान सरकार का कहना है कि पंजाब में पहली बार शिक्षा के लिए 17,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इससे स्पष्ट है कि पंजाब अब दिल्ली मॉडल पार्ट-2 बनने की राह पर है।

हालांकि, इसके राजनीतिक मायने भी हैं। पंजाब में दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में, आम आदमी पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ रही है और इसीलिए दिल्ली की लीडरशिप ने पंजाब में जोर लगा दिया है।

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