स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा पर महाराष्ट्र पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने अपने एक शो में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गद्दार कहा था।
कामरा ने अपनी कॉमेडी में शिंदे पर तंज कसते हुए कहा था कि वे परिवारवाद बदलने गए थे, लेकिन दूसरे के बाप को ही चुरा लिए। शिंदे समर्थकों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, कामरा से जुड़े ठिकानों पर तोड़फोड़ की और एफआईआर दर्ज कराई।
पुलिस ने तोड़फोड़ करने वाले शिंदे समर्थकों को हिरासत में लिया है, जबकि कामरा अभी आजाद हैं। पुलिस पर एथिक्स दिखाने का आरोप लग रहा है, क्योंकि नागपुर में दंगे करने वाले हिंदू संगठनों के नेताओं को भी नहीं बख्शा गया।
उद्धव सरकार के दौरान, सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाली कंगना रनौत के घर को अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया गया था, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने दुर्भावना भरी कार्रवाई करार दिया था।
कुछ लोगों का मानना है कि पुलिस को कामरा के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने वही कहा जो उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे कहते हैं। शिवसेना यूबीटी के छोटे नेता भी शिंदे को गद्दार कहते हैं, और उनके खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हुई है।
तो फिर कुणाल कामरा के खिलाफ मामला क्यों दर्ज किया गया? शिवसेना नेताओं और कुणाल कामरा में क्या अंतर है? कामरा भी पार्टी के लिए ही काम कर रहे हैं, बस फर्क इतना है कि वे बिना पार्टी ज्वाइन किए इंडिया एलायंस के दलों की चरणवंदना करते हैं।
कुणाल कामरा की कॉमेडी अक्सर सतही होती है, और सामान्य दर्शकों ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। इसलिए उन्होंने भाजपा और उससे जुड़े नेताओं के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया, जिससे उन्हें एक खास तरह के समर्थकों का वर्ग मिल गया।
देश में यूट्यूबर का एक वर्ग है जो हर दिन भविष्यवाणी करता है कि मोदी के खिलाफ बीजेपी में कुछ चल रहा है। उनकी हेडलाइन होती है कि मोदी सरकार गिरने वाली है, मोदी के सहयोगी साथ छोड़ने वाले हैं, 2024 में मोदी की वापसी नहीं होगी।
ये यूट्यूबर जानते हैं कि मोदी अभी कहीं जाने वाले नहीं हैं, लेकिन एक तबका है जिसे ये सब सुनकर तसल्ली होती है। कामरा जैसे कॉमेडियन इसी तबके को पकड़ने की कोशिश में कुछ ऐसा करते रहते हैं कि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे।
इनमें कोई कला नहीं है। ये जानते हैं कि कला के नाम पर अगर इन्होंने बोल दिया कि क्या शिवसेना यूबीटी में बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे, और उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे ही नेता हैं? क्या ठाकरे परिवार से बाहर का नेता यूबीटी का लीडर नहीं बन सकता?
कामरा कभी यह भी नहीं पूछ सकते कि उद्धव ठाकरे ने 2020 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़कर जनता से वोट लिया था तो रिजल्ट आने के बाद फिर कांग्रेस के साथ क्यों चले गए? दरअसल कुणाल कपूर जैसे लोग आर्टिस्ट हैं ही नहीं। ये आर्टिस्ट होने का ढोंग करते हैं।
कंगना रनौत ने भी कभी कामरा की तरह विचारों की स्वतंत्रता दिखाई थी, जिसका नतीजा ये हुआ कि कंगना के मुंबई ऑफिस पर बुलडोजर चल गया। उस समय कुणाल कामरा शिवसेना नेता संजय राउत के साथ टीवी पर हंस रहे थे।
बीजेपी सरकार ने तो कम से कम अभी कामरा के ठिकानों पर बुलडोजर नहीं चलाया है। कामरा को स्टैंडअप कॉमेडी छोड़कर कंगना की तरह पार्टी ज्वाइन करके राजनीति करनी चाहिए।
आखिर क्यों वो एक कला को बदनाम कर रहे हैं। कामरा समझदार हैं, वो जानते हैं कि कंगना तो चुनाव जीत गईं, लेकिन वो कभी चुनाव नहीं जीत पाएंगे। कामरा जानते हैं कि जो वो अभी कर रहे हैं बस वो ही उनके बस की बात है।
कुछ सालों पहले कुणाल कामरा ने लखनऊ से मुंबई की फ्लाइट के दौरान पत्रकार अर्नब गोस्वामी से किस तरह की हरकत की थी? उसे कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता था।
विदेश में होते तो किसी को-पैसेंजर को परेशान करने के आरोप में उन्हें जेल जाना पड़ा होता। या देश में ही उद्धव ठाकरे की सरकार रही होती और कुणाल कामरा को फ्लाइट में कोई उसी तरह से परेशान किया होता तो हो सकता था कि फ्लाइट के लैंड करते ही उसे जेल भेज दिया होता। या उसके घर पर मुंबई पुलिस या बीएमसी की नोटिस पहुंच गई होती।
*Maharashtra ❤️❤️❤️ pic.twitter.com/FYaL8tnT1R
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) March 23, 2025
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