दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग और उसमें जली हुई नकदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना से जुड़े वीडियो और तस्वीरें अपनी वेबसाइट पर जारी कर दी हैं। इन तस्वीरों में नकदी से भरे हुए जले हुए बोरे दिखाई दे रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब को भी सार्वजनिक किया गया है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने तीन सदस्यीय कमिटी गठित की है, जो इस पूरे मामले की जांच करेगी।
यह घटना होली की छुट्टी के दौरान हुई, जब जस्टिस यशवंत वर्मा शहर से बाहर थे। उनके बंगले में आग लग गई। परिजनों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी, जिन्होंने आग पर काबू पाया। आग बुझाने के दौरान अग्निशमन कर्मियों ने एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी देखी, जिसमें आग लगी हुई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 मार्च की रात 11:30 बजे स्टोर रूम में आग लगी थी। इस कमरे में जस्टिस वर्मा के बंगले में रहने वालों के अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने 15 मार्च को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को आग की सूचना दी। इसके बाद चीफ जस्टिस उपाध्याय ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के साथ घटनास्थल का दौरा किया और जस्टिस वर्मा से मुलाकात की।
जांच में सामने आया कि पीसीआर कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी। जस्टिस वर्मा के नौकरों ने उन्हें आग के बारे में जानकारी दी थी। जस्टिस उपाध्याय ने CJI संजीव खन्ना को इस घटना के बारे में बताया और जस्टिस वर्मा से बात की। जस्टिस वर्मा ने कहा कि कमरे में नौकर, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी कर्मी रहते थे। जब मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें पुलिस आयुक्त द्वारा भेजी गई तस्वीरें दिखाईं तो न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई।
चीफ जस्टिस उपाध्याय ने 25 पन्नों की अपनी रिपोर्ट CJI को भेजी, जिसमें मामले की गहन जांच की जरूरत बताई गई। CJI खन्ना ने जस्टिस उपाध्याय को जस्टिस वर्मा से अघोषित नकदी के स्रोत और जली हुई नकदी को हटाने वाले व्यक्ति के बारे में जवाब मांगने को कहा। उन्होंने जस्टिस उपाध्याय से जस्टिस वर्मा को अपने फोन को नष्ट न करने और डेटा न डिलीट करने के लिए भी कहा।
जस्टिस वर्मा ने अघोषित नकदी से संबंधित सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जिस कमरे में आग लगी, वह उनका आधिकारिक आवास का कमरा नहीं है, बल्कि एक स्टोररूम है और मुख्य आवास से अलग है। उन्होंने स्टोर रूम में नकदी रखे जाने की बात से भी इनकार किया है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि आग लगने पर उनकी बेटी और निजी सचिव ने अग्निशमन सेवा को सूचित किया था। आग बुझाने के बाद वहां कोई नकदी नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन को शामिल करते हुए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। CJI संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य ना सौंपने को कहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को तत्काल इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
#BREAKING Video shared by Delhi Police Commissioner regarding the fire at Justice Yashwant Varma’s house, when cash currencies were discovered. pic.twitter.com/FEU50vHwME
— Live Law (@LiveLawIndia) March 22, 2025
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