नक्सली मुठभेड़: कांग्रेस ने समर्थन दिया, पर उद्योगपतियों के लिए लाल कालीन पर सवाल उठाए
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रायपुर: कांग्रेस नेता चरण दास महंत ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नक्सलियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई सराहनीय है और इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

लेकिन, उन्होंने इस कार्रवाई के पीछे की मंशा पर सवाल उठाए हैं। महंत ने कहा कि सरकार का दावा है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य बस्तर में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

उन्होंने सवाल किया कि आखिर यह आर्थिक गतिविधियां कौन अंजाम देगा? कौन से बड़े उद्योगपति यहां आ रहे हैं जिनके लिए सरकार यह कदम उठा रही है? उन्होंने पूछा कि आखिर किस उद्योगपति के लिए लाल कालीन बिछाया जा रहा है?

महंत ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि बस्तर के विकास की दिशा क्या होगी।

इस बीच, छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने राज्य में हो रही हिंसा के लिए नक्सली समूहों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि जब तक नक्सल विचारधारा से जुड़े लोग हथियार नहीं छोड़ेंगे, तब तक मुठभेड़ों में ऐसी घटनाएँ होती रहेंगी।

सिंह देव ने कहा कि सुरक्षा बल अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में माओवाद विरोधी अभियानों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस साल अब तक 105 नक्सलियों को मार गिराया गया है। टीएस सिंह देव ने बताया कि राज्य में अर्धसैनिक बलों की 60 से अधिक बटालियनें तैनात हैं और प्रभावित इलाकों में पर्याप्त सुरक्षा बलों की मौजूदगी है।

बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पी. सुंदरराज ने बताया कि सुरक्षा बलों ने बीजापुर और कांकेर जिलों में तलाशी अभियान के दौरान 30 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं। बड़ी संख्या में हथियार और गोलाबारूद भी जब्त किया गया है।

उन्होंने बताया कि बीजापुर-दंतेवाड़ा सीमा क्षेत्र में चलाए गए अभियान में 26 नक्सलियों के शव बरामद किए गए। इस अभियान के दौरान बड़ी संख्या में एके-47 राइफलें, स्वचालित और अर्ध-स्वचालित हथियार भी जब्त किए गए हैं।

हालांकि, इस दौरान बीजापुर जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) का एक जवान शहीद हो गया।

छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान लगातार जारी है। लेकिन चरण दास महंत के सवालों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि इस अभियान का भविष्य में बस्तर के विकास और वहां के आदिवासियों पर क्या असर पड़ेगा।

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