भाजपा राज में भी नौकरशाही हावी! स्पीकर ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी, आप ने कहा- अब समझ में आया
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दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद भी भाजपा और आप के बीच वाकयुद्ध जारी है. दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता द्वारा मुख्य सचिव को चेतावनी संदेश के रूप में लिखे गए पत्र के बाद, आप नेता सौरभ भारद्वाज ने तीखा हमला बोला है.

भारद्वाज ने कहा कि अब भाजपा को समझ में आ रहा है कि लोकतंत्र को कमजोर करने से देश और जनता का नुकसान होता है. स्पीकर विजेंद्र गुप्ता के पत्र के साथ, सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबे पोस्ट में कहा, 10 सालों तक दिल्ली के अफसरों को यह सिखाया गया कि मंत्री और विधायकों की बात नहीं सुननी है. साथ ही विधायकों और मंत्रियों के फोन नहीं उठाने और उनकी चिट्ठी का जवाब तक नहीं देना.

उन्होंने आगे कहा, बात-बात पर आम आदमी पार्टी को ज्ञान देने वाले आज खुद परेशान हो रहे हैं. अब बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें अफसरों की मनमानी समझ आ रही है. पहले यही बीजेपी इन्ही अफसरों की तरफदारी करती थी, अब उन्हें उनका कर्तव्य सिखाया जा रहा है.

भाजपा को नसीहत देते हुए, दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, आज बीजेपी को यह बात समझ में आ गई है कि प्रजातंत्र को कमजोर करने से देश और जनता का सिर्फ नुकसान ही होता है.

इससे पहले, दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने राजधानी की नौकरशाही को लेकर चिंता जताई. उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र को पत्र लिखकर बताया कि उनके अधीन आने वाले सरकारी विभागों के प्रमुखों को नव-निर्वाचित विधायकों के साथ किस तरह से पेश आना चाहिए.

गुप्ता ने इसे एक गंभीर मामला बताते हुए ऐसे कई उदाहरणों का हवाला दिया, जहां दिल्ली सरकार के विभागों के शीर्ष पर बैठे वरिष्ठ नौकरशाह विधायकों के साथ बातचीत के लिए खुद को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं.

स्पीकर गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा, कुछ ऐसे मामले मेरे संज्ञान में लाए गए हैं, जहां विधायकों की ओर से पत्र, फोन कॉल या संदेशों के रूप में किए गए संवादों को संबंधित अधिकारी की ओर से स्वीकार नहीं किया गया है.

उन्होंने आगे कहा, यह एक गंभीर मामला है. मैं आभारी रहूंगा यदि सभी प्रशासनिक सचिव, दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के प्रमुख, दिल्ली पुलिस, डीडीए आदि को संवेदनशील बनाया जाए. इस संबंध में की गई कार्रवाई से मुझे जल्द से जल्द अवगत कराया जाए.

दिल्ली में पहले भी नौकरशाही और सरकार के बीच मतभेद रहे हैं. राजधानी में पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के साथ भी नौकरशाी मतभेद खुलकर सामने आए थे. पिछले महीने दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीतकर दिल्ली में आप को सत्ता से बेदखल कर दिया. आप लगातार 10 सालों से पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज थी.

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