जब घरों पर चील-कौए मंडराएंगे... संसद में त्रिवेदी की हुंकार
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राज्यसभा में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला और सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने वो कर दिखाया है जिसकी पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था।

त्रिवेदी ने कहा कि वह दौर अब खत्म हो गया है जब शांति के कबूतर उड़ाए जाते थे। अब देश एक गोली के बदले चार गोलियों से जवाब देता है।

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने आतंकवाद और अपराध पर बड़ी चोट की है। 2004 से 2014 के बीच 7,214 आतंकवादी घटनाएं हुईं थीं, जबकि 2014 से 2024 के बीच यह घटकर 2,240 रह गईं, जो 69% की कमी दर्शाता है। नागरिकों की मृत्यु में 81% और सुरक्षा बलों की मौत में 46% की कमी आई है।

उन्होंने यह भी कहा कि 2010 में पत्थरबाजी की घटनाएं 2,654 थीं, लेकिन अब यह आंकड़ा शून्य पर आ गया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह उन लोगों को नहीं दिखेगा जिनकी अक्ल पर पत्थर पड़े हैं।

त्रिवेदी ने गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर कश्मीर की कसक को दूर किया गया। उन्होंने कहा कि जब सरदार पटेल गृह मंत्री थे, तो राज्यों का एकीकरण हुआ और अब अमित शाह के कार्यकाल में वह अधूरी कड़ी पूरी हो गई।

विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जिन्हें संसद के ऊपर लगे शेर भी आक्रामक लगते थे और वे कोर्ट तक चले गए थे। उन्हें भारत कमजोर चाहिए, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि अब देश शिवाजी, महाराणा प्रताप और गुरु गोविंद सिंह जी से प्रेरणा लेने वाली सरकार के हाथों में है।

सुधांशु त्रिवेदी ने यह भी कहा कि 26/11 के मुंबई हमले के बाद 2007 में हवाना में यह कहा गया कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है, लेकिन मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जब से मोदी सरकार आई है, विपक्षी दलों के साथ कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई, क्योंकि अब टेरर के साथ कोई टॉक नहीं होगी।

उन्होंने लखनऊ की भाषा में कहा, मियां, वो दिन लद गए जब उस्ताद लल्लू खां फाख्ता उड़ाया करते थे। अब यहां शांति के कबूतर नहीं उड़ते, बल्कि गुरु गोविंद सिंह जी के पाठ गूंजते हैं।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने एक कविता पढ़ी जिसमें देश की ताकत का जिक्र किया गया और चेतावनी दी गई कि भारत की संप्रभुता से खिलवाड़ करने वालों को पछताना पड़ेगा। कविता के अंत में उन्होंने कहा कि मां भवानी की सौगंध, उठेगी तलवार जब आपके घरों पर चील-कौवे मंडराएंगे।

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